
छत्तीसगढ़ पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव पर सस्पेंस: आरक्षण प्रक्रिया स्थगित, चुनाव टलने की चर्चा छत्तीसगढ़ पंचायत और नगरीय सरकार की रणनीति पर सवाल, एक साथ चुनाव की योजना अधर में!
रायपुर। छत्तीसगढ़ में पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों को लेकर असमंजस की स्थिति बन गई है। दोनों चुनाव एक साथ कराने की तैयारी के बीच पंचायत विभाग द्वारा अचानक आरक्षण प्रक्रिया स्थगित करने के आदेश ने चुनाव टाले जाने की अटकलों को हवा दे दी है।

पंचायत विभाग ने सभी जिलों को ग्राम पंचायत, जनपद और जिला पंचायत के वार्डों के आरक्षण की प्रक्रिया 20 दिसंबर तक पूरी करने के निर्देश दिए थे। लेकिन आज इस प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई। इसके बाद से राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं कि पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव अलग-अलग हो सकते हैं या चुनाव टाले जा सकते हैं।
नगरीय निकाय चुनाव पर अभी स्पष्टता नहीं
नगरीय निकाय चुनावों के लिए आरक्षण प्रक्रिया पर फिलहाल कोई रोक नहीं लगी है। मगर, सरकार की इस स्थिति को लेकर विपक्ष और जनता के बीच सवाल खड़े हो रहे हैं। गौरतलब है कि नगरीय निकायों का कार्यकाल जनवरी 2024 के पहले सप्ताह में खत्म हो रहा है, जबकि पंचायतों का कार्यकाल फरवरी 2025 तक है।
चुनावी प्रक्रिया में बदलाव
राज्य सरकार ने दोनों चुनावों को एक साथ कराने के उद्देश्य से पंचायत और नगरीय निकाय अधिनियमों में संशोधन किए हैं। इस बार नगरीय निकायों में मेयर और अध्यक्ष का चुनाव जनता सीधे करेगी। पिछली बार कांग्रेस सरकार ने पार्षदों के माध्यम से मेयर और अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया लागू की थी, जिसे विपक्ष में रहते हुए बीजेपी ने कड़ा विरोध किया था।
सरकार की रणनीति पर सवाल
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि चुनाव टालने या अलग-अलग कराने का फैसला सरकार की रणनीतिक योजना का हिस्सा हो सकता है। हाल के घटनाक्रम ने सरकार की तैयारियों और मंशा को लेकर नए सवाल खड़े कर दिए हैं।

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