
छत्तीसगढ़ के जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवा से जुड़ा गंभीर विवाद सामने आया है, जहां कांग्रेस विधायक के स्वास्थ्य प्रतिनिधि सीनू राव पर एक कर्मचारी ने सरेआम हमला कर दिया। यह पूरी घटना अस्पताल परिसर के सीसीटीवी कैमरों में कैद हो गई और अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। इस हमले के बाद अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था, प्रशासनिक जवाबदेही और राजनीतिक दखल पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
बिलासपुर ।गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के जिला अस्पताल का हाल इन दिनों इलाज से ज़्यादा विवाद और मारपीट के लिए चर्चा में है। बीती रात अस्पताल परिसर में कांग्रेस विधायक अटल श्रीवास्तव के स्वास्थ्य प्रतिनिधि सीनू राव पर अस्पताल प्रबंधन से जुड़े कर्मचारी यादवेंद्र कश्यप ने खुलेआम हमला कर दिया। पूरा घटनाक्रम अस्पताल के सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया है, जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है।
सीनू राव की गर्दन पकड़ी, पिता ने भी चप्पल चलाई!
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प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, विधायक प्रतिनिधि सीनू राव ने अस्पताल की व्यवस्था पर सवाल उठाए, जिसके बाद विवाद इस कदर बढ़ा कि कर्मचारी यादवेंद्र कश्यप इनोवा से उतरते ही राव की गर्दन पकड़ बैठा। इसके बाद लात-घूंसे चलने लगे। हैरानी की बात यह रही कि यादवेंद्र के पिता ने भी मौके पर पहुंचकर चप्पल से हमले में हाथ साफ कर दिए। दोनों की यह हरकत अस्पताल की गरिमा पर सीधा हमला मानी जा रही है।
व्यवस्था पर सवाल पूछना पड़ा भारी!
इस हमले ने जिला अस्पताल की सुरक्षा और प्रशासनिक स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यादवेंद्र कश्यप अस्पताल प्रबंधन से सीधे तौर पर जुड़ा कर्मचारी है, जो पहले भी विवादों में रहा है। स्वास्थ्य विभाग की फटकार के बावजूद उसका सक्रिय रहना बताता है कि कुछ रसूखदार ताकतें उसे बचा रही हैं।
17 जून की गड़बड़ी की कहानी फिर सामने आई
उल्लेखनीय है कि यही यादवेंद्र कश्यप 17 जून को खून जांच के नाम पर मरीजों से पैसे वसूलने के मामले में घिरा था। तब स्वास्थ्य विभाग ने तत्काल प्रभाव से उसे हटाने का आदेश दिया था। लेकिन इसके बावजूद वह अस्पताल में बना रहा, जिससे यह स्पष्ट है कि अधिकारी सिर्फ कागजी कार्रवाई तक सीमित हैं।

विधायक प्रतिनिधि केवल जनसेवक नहीं, ठेकेदार भी?
एक चौंकाने वाली बात और सामने आई है कि सीनू राव न सिर्फ कांग्रेस विधायक के प्रतिनिधि हैं, बल्कि अस्पताल में भोजन आपूर्ति और सुरक्षा कर्मियों की तैनाती से जुड़े ठेके भी उन्हीं के पास हैं। ऐसे में राव की मौजूदगी केवल जनसेवा तक सीमित न होकर आर्थिक हितों से भी गहराई से जुड़ी हुई है। यह भी चर्चा का विषय है कि क्या विवाद इसी कारोबारी प्रभाव को लेकर था?
प्रशासन जांच के घेरे में
घटना के बाद सीनू राव ने मामले की लिखित शिकायत देने की तैयारी कर ली है। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग पर अब दबाव है कि वह इस मामले में निष्पक्ष जांच कर जिम्मेदारों पर कार्रवाई करे, वरना यह मामला राजनीतिक गलियारों से निकलकर जनआक्रोश का रूप ले सकता है।
संपादकीय टिप्पणी:
जिला अस्पताल जैसे संवेदनशील स्थल पर ऐसी घटनाएं न केवल प्रशासनिक विफलता को उजागर करती हैं, बल्कि यह भी दिखाती हैं कि राजनीतिक रसूख, आर्थिक स्वार्थ और ढीली निगरानी व्यवस्था मिलकर जनस्वास्थ्य जैसे विषयों को किस हद तक नुकसान पहुंचा रही हैं। अब देखना यह है कि इस मामले में क्या सिर्फ खानापूर्ति होगी या वाकई कोई कठोर कदम उठाया जाएगा?
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