
मौसम विभाग को ही मौसम की जानकारी नहीं
पूर्वानुमान को लेकर संशय बरकरार-आकाशीय बिजली से जा रही जान,
रायपर- प्राकृति पर किसी का जोर नहीं। 100 फिसदी पूर्वानुमान सहीं हो यह भी उम्मीद करना मौसम विभाग से बेमानी है,मगर जो आम जनता को दिख जाता है वह मौसम विभाग को इन दिनों नजर नहीं आ रहा। राजनांदगांव में आकाशीय बिजली में हुई मौत के लिए जिम्मेदार भले भी प्रकृति को ठहराया जा सकता है लेकिन लापरवाही मौसम विभाग की कम नहीं है। उस दिन मौसम विभाग ने जिले के लिए कोई अलर्ट जारी नहीं किया था।

23 सितम्बर को किसी को आकाशीय कहर में 8 लोंगो की जान चली गई।एक बुरी तरह से झुलस भी गया जिसका उपचार अभी भी जारी है।
राजनांदगांव जिले के मुढ़ीपार स्कूल से साइकिल में अपने गांव जोरातराई और मनगटा के लिए निकले थे। तभी तेज गरज के साथ बारिश शुरू हुई, बारिश से बचने मुढ़ीपार और जोरातराई के बीच सड़क किनारे तेंदू पेड़ के नीचे बने अहाता में रुके थे। आकाशीय कहर ने 8 की जान ले ली।
मौसम विभाग नहीं लगा पा रहा सटीक अनुमान,
23 सितम्बर को मौसम विभाग ने पूर्वानुमान जारी तो किया था मगर राजनांदगांव की स्थिति का कहीं उल्लेख नहीं था। विभाग ने बालौद,बलौदाबाजार,बेमेतरा,धमतरी,दुर्ग,गरियाबंद,महासमुंद और रायपुर जिले के लिए चेतावनी जारी किया था। त्वरित पूर्वानुमान पुरी तरह से लगातार असफल हो रहे है।

16 साल बाद भी नहीं लगा डॉप्लर रडार,
मौसम विभाग भले ही चिंता व्यक्त करे मगर विभाग के काम कुछूआ गति से चल रहा है। प्रदेश में डॉप्लर रडार लगने की दिशा में 2008 से प्लानिंग तैयार किया गया मगर अब तक डॉप्लर रडार लग नहीं पाया। अभी भी काम अधुरा है।
2241 लोंगो की जा चुकी है जान..
बीते 10 वर्षो में आकाशीय बिजली के चलते 2241 लोंग अपनी जान गवा चुके है। 9 हजार के करीब मवेशियों की मौत हुई है। डॉप्लर रडार यदि समय पे लग गया होता या विभाग के अधिकारी सही पूर्वानुमान बता पाते तो मौत के आकडे में कमी जरुर आती।
क्या कहते है अधिकारी,
मौसम विभाग के वैज्ञानिक सी डॉ गायत्री का कहना है कि…राजनांदगांव सहित अन्य जिलों को लेकर ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया था। वहीं डॉप्लर रडार के विषय में उन्होंने कहा कि आप को किसी ने गलत जानकारी दी है। दो साल पहले से रडार लगाने की प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही यह रडार शरु हो जाएगा।
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