फिर बर्खास्त किए गए सहकारी बैंक के 29 दोषी कर्मचारीस्टाफ कमेटी की बैठक में लिया गया बड़ा निर्णय, सुप्रीम कोर्ट से भी नहीं मिली राहत

भर्ती घोटाले में फंसे जिला सहकारी केंद्रीय बैंक बिलासपुर के 29 कर्मचारियों की किस्मत पर फिर से गाज गिरी है। हाईकोर्ट के आदेश पर विभागीय जांच पूरी होने के बाद स्टाफ कमेटी ने सभी को दोबारा बर्खास्त कर दिया, वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी चुनौती को खारिज कर बैंक के फैसले पर मुहर लगा दी।
बिलासपुर, 12 अगस्त।
जिला सहकारी केंद्रीय बैंक बिलासपुर में भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी के दोषी पाए गए 29 कर्मचारियों को एक बार फिर सेवा से पृथक कर दिया गया है। यह फैसला बैंक की स्टाफ कमेटी की बैठक में माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के पालन में लिया गया।
मामला पंकज तिवारी समेत कुल 29 पूर्व बर्खास्त कर्मचारियों से जुड़ा है। इन कर्मचारियों ने वर्ष 2020 में उच्च न्यायालय बिलासपुर में पिटीशन क्रमांक 3346/2020 दायर की थी। बैंक ने इसके खिलाफ रिट अपील क्रमांक 307/2025 उच्च न्यायालय में दायर की। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने ‘प्राकृतिक न्याय’ के सिद्धांत के तहत आदेश दिया कि बैंक आदेश प्राप्ति की तारीख से तय समय सीमा में विभागीय कार्यवाही पूरी करे।
इस निर्देश के बाद बैंक के प्राधिकृत अधिकारी की अध्यक्षता में स्टाफ कमेटी की बैठक बुलाई गई। बैंक के सीईओ ने जांच के लिए चार वरिष्ठ शाखा प्रबंधकों की टीम गठित की। जांच टीम ने समय सीमा में जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंपी और प्रत्येक कर्मचारी की व्यक्तिगत सुनवाई भी की।
स्टाफ कमेटी ने 04, 05 और 08 अगस्त 2025 को हुई बैठकों में निर्णय लिया कि 01 शाखा प्रबंधक, 04 सहायक लेखापाल, 08 पर्यवेक्षक, 06 लिपिक सह कंप्यूटर ऑपरेटर और 10 समिति प्रबंधक — कुल 29 कर्मचारियों को पुनः बर्खास्त किया जाए।

इन कर्मचारियों ने इस कार्रवाई को चुनौती देते हुए माननीय सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने 12 अगस्त 2025 को प्रकरण खारिज कर दिया। बैंक ने आगे किसी भी कानूनी विवाद की आशंका को देखते हुए माननीय हाईकोर्ट में केविएट भी दायर कर दी है।
इस फैसले के बाद बैंक के भीतर और बाहर दोनों जगह हलचल मच गई है। सवाल अब यह है कि क्या भर्ती घोटाले की यह कड़ी यहीं समाप्त होगी, या आगे और नाम इस सूची में जुड़ सकते हैं।
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