
रतनपुर -सावन के दूसरे सोमवार को धर्मनगरी रतनपुर स्थित श्री सिद्ध तंत्र पीठ भैरव बाबा मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। सुबह से ही मंदिर परिसर में शिवभक्तों का आना शुरू हो गया था। भक्तों ने पारंपरिक आस्था के अनुसार मिट्टी के हजारों पार्थिव शिवलिंग बनाकर भोलेनाथ का पूजन किया और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की कामना की।

यह परंपरा केवल भावनात्मक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक भी है। मंदिर समिति के अनुसार, यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है, जिसमें सावन के महीने में पार्थिव शिवलिंग निर्माण कर भगवान शिव की आराधना की जाती है। पिछले वर्ष पांच लाख से अधिक शिवलिंग बनाए गए थे, जिन्हें पूजा के बाद नर्मदा नदी में विधिवत विसर्जित किया गया। इस वर्ष भी भक्तों की सहभागिता बड़ी संख्या में देखने को मिल रही है।
यह साधना केवल पूजा नहीं, आत्मशुद्धि है” — महंत जागेश्वर अवस्थी
मंदिर के महंत पंडित जागेश्वर अवस्थी ने पार्थिव शिवलिंग निर्माण की परंपरा को लेकर बताया कि यह केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भीतर की शुद्धि और शिव से जुड़ने की साधना है।
“जब भक्त अपने हाथों से शिवलिंग बनाता है, तो वह अपने भीतर के अहंकार और विकार को मिट्टी के साथ समर्पित करता है। सावन में की गई यह साधना विशेष फलदायी होती है और शिव कृपा सहज ही प्राप्त होती है।”
उन्होंने यह भी कहा कि यह परंपरा सनातन धर्म की जड़ में बसी हुई है, जो हर वर्ष लाखों लोगों को ध्यान, संयम और आस्था के मार्ग पर अग्रसर करती है।
रुद्राभिषेक से शिवमहापुराण तक, दिनभर चल रहे अनुष्ठान
मंदिर परिसर में सावन महोत्सव के अंतर्गत विभिन्न धार्मिक आयोजन प्रतिदिन हो रहे हैं—
• सुबह 9 बजे से रुद्राभिषेक और महामृत्युंजय जाप
• दोपहर 3 बजे से शिव महापुराण कथा
• प्रदोष काल में स्फटिक शिवलिंग पर विशेष रुद्राभिषेक, आरती और पुष्पांजलि
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