
बिलासपुर। माननीय सर्वोच्च न्यायालय एवम माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा अर्नेश कुमार विरूद्ध बिहार राज्य, मो आसफ़ आलम विरूद्ध झारखंड राज्य , सत्येंद्र कुमार अंतिल विरूद्ध सीबीआई में गिरफ़्तारी के संबंध में दिए गए दिशानिर्देशों के परिपालन में पुलिस महानिदेशक और महाधिवक्ता , उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ के निर्देश पर एकदिवसीय राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया। बिलासपुर के प्रार्थना सभा भवन में आयोजित इस कार्यशाला, प्रशिक्षण का विषय ” गाइडलाइन आफ आनरेबल कोर्ट्स” था

पुलिस महानिरीक्षक बिलासपुर रेंज बिलासपुर डॉ. संजीव शुक्ला के मार्गदर्शन में आयोजित इस कार्यशाला के मुख्य अतिथि श्री प्रफुल्ल एन भारत, महाधिवक्ता, विशिष्ट अतिथि श्री आशीष शुक्ला, अतिरिक्त महाधिवक्ता ,डॉ सौरभ कुमार पांडे उप महाधिवक्ता उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ बिलासपुर और डॉक्टर परवेश कुमार राजपूत, सहायक प्राध्यापक हिदायतुल्लाह राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय रायपुर प्रमुख वक्ता के रूप में उपस्थित थे । इनके द्वारा न्यायालय के मंशानुरूप गिरफ्तारी के संबंध में बिंदुवार निर्देश, जो उपरोक्त प्रकरणों के निर्णयों में जारी किए गए है, उसकी विस्तृत रूप से, राज्य भर से चयनित लगभग 200 पुलिस अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया। यह प्रशिक्षण सेशन इंटरैक्टिव रहा ।
कार्यशाला के दौरान ही उक्त प्रशिक्षकों द्वारा प्रश्नोत्तरी के माध्यम से पुलिस अधिकारियों की जिज्ञासाओं, शंकाओं और उनके प्रश्नों का सकारात्मक समाधान किया गया।

सेमिनार के आयोजन की अध्यक्षता कर रहे और संपूर्ण कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने वाले पुलिस महानिरीक्षक डॉ संजीव शुक्ला ने कहा कि गिरफ़्तारी के संबंध में पुलिस के द्वारा न्यायालयों के दिशानिर्देशों का परिपालन अपेक्षित है। इस संबंध में पुलिस अफ़सरों के लीगल नॉलेज एवं संवेदनशीलता में वृद्धि के लिए सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है। सेमिनार का मुख्य उद्देश्य पुलिस अफ़सरों को गिरफ़्तारी के संबंध में नवीनतम दिशा-निर्देशों से परिचित कराना और इन दिशानिर्देशों का संकलन एक पुस्तिका के रूप में करना है। उन्होंने बताया पुलिस महानिदेशक के निर्देशानुसार उक्त सभी प्रशिक्षण प्राप्त पुलिस अधिकारी मास्टर ट्रेनर के रूप में एक माह के अंदर अपने जिले के प्रत्येक विवेचक को इस विषय में प्रशिक्षित करेंगे।
महाधिवक्ता उच्च न्यायालय श्री प्रफुल्ल एन भारत ने बताया कि उच्चतम एवं उच्च न्यायालयों के दिशानिर्देशों का मुख्य उद्देश्य नागरिकों के जीवन एवम् स्वतंत्रता की रक्षा करना है।
अतिरिक्त महाधिवक्ता श्री आशीष शुक्ला ने कहा कि उच्चतम एवं उच्च न्यायालयों के दिशा-निर्देशों में निहित मंशा को समझने की ज़रूरत है। दंड प्रक्रिया की संहिता धारा 41(1)(B) में दिए गए प्रावधानों का परिपालन ही अर्नेश कुमार के केस में बताया गया है, जिसे विवेचना संबंधी समस्त प्रकरणों में पालन करने की आवश्यकता है।
उप महाधिवक्ता श्री सौरभ कुमार पाण्डे ने मौक़े पर कहाँ की क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम की दिशा अब साक्ष्य संकलन पर है। उन्होंने गिरफ़्तारी के लिए डाक्यूमेंटेशन की गुणवत्ता और उत्कृष्टता पर विशेष ज़ोर दिया।
डॉ परवेश कुमार राजपूत, सहायक प्राध्यापक हिदायतुल्लाह राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय रायपुर के द्वारा महिलाओं एवं बच्चों के संबंध में माननीय न्यायालय के द्वारा समय-समय पर जारी दिशा निर्देशों से अवगत कराया गया।
बिलासपुर पुलिस अधीक्षक, बिलासपुर श्री रजनेश सिंह ने आशा ब्यक्त करते हुए कहा कि पुलिस अधिकारी इस सेमिनार से उच्चतम एवं उच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों से परिचित होकर अपने ज़िले के विवेचकों को प्रशिक्षण देंगे। पुलिस अधीक्षक श्री रजनेश सिंह, द्वारा समस्त अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर उनका आभार व्यक्त किया गया । कार्यक्रम का संचालन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अर्चना झा ने किया।
इस अवसर पर सभी अधिकारियों को उक्त दिशा निर्देशों की बुकलेट प्रदान की गयी ।
सेमिनार के आयोजन में ज़िला पुलिस बिलासपुर के सभी अधिकारियों द्वारा कार्यशाला के सफल आयोजन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई ।
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