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छत्तीसगढ़ में सिस्टम का “राम नाम सत्य” देखिए वीडियो

मौत के बाद भी राह आसान नहीं… कीचड़ भरे रास्ते से अर्थी ले जाने को मजबूर, विकास की गाथा बता रही शवयात्रा की यह तस्वीरें

जाँजगीर-चाँपा। जिले के दल्हा पोडी गाँव में 28 जुलाई को एक ग्रामीण की मौत हो गई। उनके अंतिम संस्कार के लिए शव को कंधों पर लादकर मुक्तिधाम ले जाया गया। खेतों में कीचड़ को पार करके ग्रामीणों ने अपने प्रियजन का अंतिम संस्कार किया।

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उसके बाद ग्रामीणों ने ज़िम्मेदार अधिकारियों के पास जाकर फिर से सड़क निर्माण कार्य की माँग दोहराई लेकिन प्रशासन के कानों में जूं तक नहीं रेंगा।

इस गाँव में ग्रामीणों की दुर्दशा और मूलभूत सुविधाओं की कमी के कारण अपने परिजनों के अंतिम संस्कार के दौरान कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। तब जाकर अंतिम संस्कार होता है।

गाँव के लोग इस तरह पानी और कीचड़ से हो कर शव ले कर जाते हैं

आज 31 अगस्त को गाँव की एक महिला की मौत हो गई तब मुक्तिधाम जाने के लिए रास्ता नहीं होने से आक्रोशित गाँववालों ने शव को सड़क पर रखकर प्रदर्शन किया। और सड़क निर्माण के लिए अपनी माँगों पर अड़ गये।

महिला का शव सड़क पर रख कर प्रदर्शन करते ग्रामीण

इसकी जानकारी मिलने पर क़रीब 3 घंटे बाद अलकतरा तहसीलदार को मौक़े पर भेजा गया। उन्होंने गाँववालों को समझाईश देकर किसी तरह मामला शांत कराया। तब जाकर उस महिला का अंतिम संस्कार किया गया।

कई साल से सोता रहा प्रशासन
ज़िला प्रशासन की बेरुख़ी देखिए जिस गाँव में मुक्तिधाम तक सड़क बनाने की माँग सालों से की जा रही थी वहाँ किसी अफ़सर ने ध्यान ही नहीं दिया। आज जब शव रखकर प्रदर्शन किया गया तब ग्रामीणों को गाँव के गौठान के पास सरकारी ज़मीन में नया मुक्तिधाम बनाने की बात कही गई। लेकिन सड़क वहाँ भी ग्रामीणों के नसीब में नहीं हैं।

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विधायक बोलें:

अलकतरा के कांग्रेसी विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह ने जानकारी देते हुए कहा कि दल्हापोड़ी गाँव में मुक्तिधाम जाने के लिए सरकारी ज़मीन नहीं होने के कारण सड़क का निर्माण कार्य नहीं हो पाया है। गाँववाले अपनी निजी ज़मीन सड़क बनाने के लिए नहीं देना चाहते हैं। इसलिए प्रशासन ने गौठान के पास मुक्तिधाम बनाने का फ़ैसला लिया है।

इधर अफ़सरों से जब पूछा गया कि आख़िर इस गाँव में कब तक मुक्तिधाम के लिए सड़क निर्माण कर दिया जाएगा तब अफ़सरों ने नई कहानी सुना दी। असल में गाँव के कुछ लोगों ने गौठान के पास वाली सरकारी ज़मीन पर बेजाक़ब्ज़ा कर खेत बना रखा है और उसपर धान की फसल लहलहा रही है।

धान की फसल को हटाने में असमर्थ ज़िला प्रशासन किसानों के फसल पकने और उसके कटने का इंतज़ार करेगा। उसके बाद ही मुक्तिधाम तक सड़क निर्माण कार्य शुरू हो सकता है। ऐसे में दल्हापोड़ी के ग्रामीणों को अभी कीचड़ से सने रास्तों को पार करके ही अपने परिजनों का अंतिम संस्कार करना होगा।

कलेक्ट्रेट निर्माण पर ध्यान लेकिन नागरिक सुविधाओं पर आँखों में पट्टी

वैसे भी जाँजगीर-चाँपा जिले में प्रशासन नाम की चिड़िया नागरिकों की समस्याओं पर कम और अपनी ख़ुद के सरकारी कार्यालय को चमकाने में अधिक ध्यान दे रहा है। तो क्या छत्तीसगढ़ सरकार भी इस ओर ध्यान नहीं देना चाहती। अब तो दल्हापोड़ी गाँव के लोग भी यह कहने लगे हैं कि सरकारी सिस्टम का भी “राम नाम सत्य” हो चुका है।

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