प्रधानमंत्री सड़क योजना का ये कैसा न्याय,डामर कम, धांधली ज्यादा,ठेकेदार ने बिछाई घोटाले की चादर। न थिकनेस, न बीएम, न प्राइमर की खबर,आदिवासी इलाके की सड़क बनी भ्रष्टाचार का सफर!

उमरिया दादर से कोइलारीपारा तक 1.72 करोड़ की सड़क में घोटाला! डामर नदारद, गुणवत्ता की धज्जियां, अधिकारी खामोश!
बिलासपुर/रतनपुर | प्रधानमंत्री जनजातीय न्याय महाभियान और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क जनमन योजना जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं का हश्र कोटा विकासखंड के उमरिया दादर से कोइलारीपारा तक बन रही सड़क में साफ देखा जा सकता है। 1.72 करोड़ रुपये की लागत से बन रही यह डामर सड़क, जो आदिवासी बहुल गांवों को जोड़ने के उद्देश्य से स्वीकृत हुई थी, अब मानकविहीन निर्माण और भ्रष्टाचार का बड़ा उदाहरण बनकर सामने आई है।

‘डामर की जगह धूल! न प्राइमर, न थिकनेस!’
ग्रामीणों के अनुसार सड़क निर्माण में न तो 20 मिमी थिकनेस का पालन किया गया, न ही बीएम की परत ठीक से डाली गई। सड़क निर्माण में जिस प्राइमर कोटिंग का ज़िक्र स्टीमेट में है, वह पूरी तरह से गायब है।
“जहां ढंग से रोड बननी चाहिए थी, वहां एक ही दिन में सड़क को समेट दिया गया। नीचे प्राइमर नहीं, ऊपर पतली परत की कालिख और अब से ही दरारें दिखने लगी हैं।”
— संतोष भारती, ग्रामीण उमरिया दादर
ग्रामीणों ने बताया कि ठेकेदार द्वारा सिर्फ ऊपर से काली परत बिछा दी गई है, पर अंदर की सतह पूरी तरह से खोखली और अधूरी है। जगह–जगह सड़क पहले से ही उखड़ने लगी है, और पूरी सड़क उबड़–खाबड़ है।
5 मार्च को पूरा होना था काम, जून में भी अधूरा!
सरकारी शर्तों के अनुसार यह सड़क 5 मार्च 2025 तक बनकर तैयार होनी थी। लेकिन जून 2025 आ चुका है और अभी निर्माण कार्य जैसे-तैसे शुरू किया गया है। ठेकेदार की ओर से मानक के विपरीत एक ही दिन में 18 मिमी डामरीकरण कर सड़क को जबरन पूरा बताया जा रहा है।

“पिछले दो साल से हम सड़क की मांग कर रहे थे। अब जब बन रही है तो ऐसा लग रहा है जैसे आंखों के सामने लूट हो रही हो।”
मंगलु राम, कोइलारीपारा निवासी
डीसी कंस्ट्रक्शन पर सवाल, अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध
सड़क निर्माण की जिम्मेदारी डीसी कंस्ट्रक्शन को सौंपी गई थी। लेकिन स्थानीय लोगों का आरोप है कि ठेकेदार ने पहले से ही गुणवत्ता की अनदेखी करते हुए मनमर्जी से निर्माण शुरू किया, और कोई भी अधिकारी मौके पर जांच करने नहीं पहुंचा।
“यहां जांच अधिकारी तो दूर, कोई इंजीनियर तक नजर नहीं आया। ठेकेदार ने मनमाने ढंग से काम कराया। इस योजना की मंशा से खिलवाड़ हुआ है।”
महिला ग्रामीण, उमरिया दादर
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं तेज, कार्रवाई की मांग
इस मामले पर अब स्थानीय नेताओं ने भी प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है।
🔹 अटल श्रीवास्तव, विधायक कोटा (कांग्रेस)
“जनमन योजना के ठेके एक ही ठेकेदार को मिलते जा रहे हैं। अधिकारियों की मिलीभगत से ही ऐसा स्तरहीन कार्य हो रहा है। जांच ज़रूरी है।”
🔹 दुर्गा कश्यप, मंडल अध्यक्ष भाजपा, रतनपुर:
“आदिवासी न्याय महाभियान में भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ठेकेदार और संबंधित अधिकारियों की शिकायत सीधे मंत्री को की जाएगी।”
🔹 इ. थॉमस एक्का, मुख्य कार्यपालन अभियंता, पीएमजीएसवाई बिलासपुर:
“शिकायत मिलने पर निर्माण की जांच करवाई जाएगी। फिलहाल सड़क सही लग रही है, पर सत्यापन के बाद स्थिति साफ होगी।”
आदिवासी इलाके में ‘कागजों में विकास, ज़मीन पर धोखा’
इस प्रकरण ने एक बार फिर साबित कर दिया कि ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में शासन की योजनाएं कैसे भ्रष्टाचार की बलि चढ़ रही हैं। सड़क बनने से पहले ही उखड़ना, प्राइमर की अनुपस्थिति, थिकनेस में गड़बड़ी और पूरी योजना को जल्दीबाजी में समेटना इस बात का साफ संकेत है कि करोड़ों की राशि सिर्फ कागजों पर विकास दिखाने के लिए खर्च की जा रही है।
अब देखना यह होगा कि क्या प्रशासन इस पर कोई कड़ी कार्रवाई करता है, या यह मामला भी अन्य शिकायतों की तरह फाइलों में दबा दिया जाएगा।
Live Cricket Info