
Bilaspur News:– छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में भारतमाला परियोजना से जुड़े भूमि अधिग्रहण प्रकरण में निलंबन और FIR की कार्रवाई के बाद एक पटवारी ने आत्महत्या कर ली है। आरोपी पटवारी सुरेश मिश्रा ने सेवानिवृत्ति से महज तीन दिन पहले, अपनी बहन के फार्म हाउस में फांसी लगाकर आत्महत्या की। घटना से पहले उन्होंने कलेक्टर के नाम एक पत्र और एक सुसाइड नोट छोड़ा, जिसमें स्वयं को निर्दोष बताते हुए बहाली की मांग की गई है। मामला राजस्व रिकॉर्ड में कथित कूटरचना और मुआवजा वितरण में अनियमितता से जुड़ा हुआ है, जिसकी जांच के बाद कार्रवाई की गई थी। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच प्रारंभ कर दी है।
Bilaspur बिलासपुर। भारतमाला परियोजना में गड़बड़ी कर फर्जी दस्तावेज तैयार कर गलत मुआवजा पत्र बनाने में जिस पटवारी सुरेश मिश्रा को 24 जून को निलंबित किया गया था फिर 25 जून को उन पर एफआईआर दर्ज की गई थी उन्होंने अपनी बहन के फार्म हाउस में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। आत्महत्या करने से पहले उन्होंने कलेक्टर के नाम एक आवेदन छोड़ा है इसके अलावा एक सुसाइड नोट भी छोड़ा है। सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा है कि कलेक्टर साहब मुझे बहाल कर दीजिए मैं बेगुनाह हूं। इसके अलावा सुसाइड नोट में गड़बड़ियों में शामिल लोगों के नाम लिखे हैं। मामला सकरी थाना क्षेत्र का है।
सुरेश मिश्रा तखतपुर तहसील के ग्राम पंचायत भाड़म में पटवारी के पद पर पदस्थ थे। 62 वर्षीय सुरेश मिश्रा अयोध्या नगर के रहने वाले थे। पिछले 6 माह में वो दो बार निलंबित हो चुके थे। तीस जून को उनकी सेवानिवृत्ति थी उससे एक सप्ताह पहले 24 जून को उन्हें तखतपुर एसडीएम ने निलंबित कर दिया था। भारतमाला प्रोजेक्ट के लिए भू अर्जन और मुआवजा प्रखंड बनाने में गड़बड़ी की शिकायत मिलने पर जिला स्तरीय समिति की ओर से पूरे मामले की जांच की गई थी। जांच में तत्कालीन तहसीलदार डीएस उइके और पटवारी सुरेश कुमार मिश्रा के द्वारा गड़बड़ी करना पाया गया। जांच में सामने आया कि राजस्व अभिलेखों में कूटरचना कर कुछ व्यक्तियों के नाम अवैध रूप से दर्ज किए गए। इसके आधार पर नामांतरण और बंटवारे की प्रक्रिया हुई। इसके कारण भूमि अधिग्रहण में वास्तविक से अधिक मुआवजा राशि की गणना हुई इस गड़बड़ी के कारण शासन को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा।
जिला स्तरीय समिति की रिपोर्ट में गड़बड़ी की पुष्टि होने के बाद सुरेश मिश्रा को 24 जून को निलंबित किया गया उसकेबाद अगले दिन 25 जून को तोरवा थाने में जिला प्रशासन की तरफ से पटवारी सुरेश मिश्रा और तहसीलदार डीएस उइके के खिलाफ धारा 420, 34, 467, 468, 471 की एफआईआर करवाई गई।
एफआईआर होने के दो दिनों बाद ही आज पटवारी सुरेश मिश्रा पिता पंचराम मिश्रा ने सकरी थाना क्षेत्र के ग्राम जोकी में स्थित अपनी बहन के फार्म हाउस के कमरे में जाकर फांसी लगा ली। परिजनों ने बताया कि अपराध दर्ज होने के बाद पटवारी सुरेश मिश्रा मानसिक रूप से परेशान थे। वे अक्सर अपने बहन के फार्म हाउस जाते थे। आज फार्म हाउस पहुंच वहां के कमरे में उन्होंने फांसी लगा ली।
परिजन उन्हें फोन कर रहे थे जब उनका फोन रिसीव नहीं हुआ तब उन्होंने फार्म हाउस जाकर देखा तो सुरेश मिश्रा फॉर्म हाउस के कमरे में फांसी के फंदे से लटकते मिले। परिजनों ने इसकी सूचना तत्काल सकरी थाने को दी। सूचना पर पहुंची सकरी पुलिस ने शव का पंचनामा कर फंदे से उतार पीएम के लिए भिजवाया।
मिला दो लेटर:–
पुलिस को कमरे की तलाशी में दो लेटर मिला है। जिसमें पहला लेटर कलेक्टर के नाम आवेदन का है और दूसरा सुसाइड नोट है। कलेक्टर के नाम लिखे लेटर में सुरेश मिश्रा ने लिखा है कि कलेक्टर साहब मै बेगुनाह हूं,मेरी कोई गलती नहीं है। मुझे बहाल कर दीजिए। इसके अलावा अपनी बीमारी का भी हवाला देते हुए सुरेश मिश्रा ने लिखा है कि मैं अक्सर बीमार रहता हूं।
आवेदन पत्र के अलावा उन्होंने एक सुसाइड नोट भी छोड़ा है।
उस सुसाइड नोट में उन्होंने कांटछांट और अनियमितताओं के लिए एक राजस्व अधिकारी, गांव के कोटवार और एक अन्य युवक को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने साफ तौर पर लिखा है कि गड़बड़ियों के पीछे इन्हीं लोगों का हाथ है और वे स्वयं निर्दोष हैं। उन्होंने खुद को बेकसूर बताते हुए पूरी जिम्मेदारी इन पर डाल दी है। फिलहाल, पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है।बता दें कि आत्महत्या करने वाले पटवारी की सेवानिवृत्ति 30 जून को होने वाली थी।
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