
Bilaspur Highcourt news:– 22 सौ करोड़ रुपए के शराब घोटाला मामले में ईओडब्ल्यू ने आबकारी विभाग निलंबित अफसर अरुणपति त्रिपाठी और त्रिलोक ढिल्लन की जमानत याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने माना है कि भ्रष्टाचार मानव अधिकारों का उल्लंघन है। भ्रष्ट लोक सेवकों का पता लगाकर ऐसे व्यक्तियों को दंडित करना भ्रष्टाचार अधिनियम का आदेश है।
Bilaspur बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में 22 सौ करोड़ रुपए के शराब घोटाले को लेकर मामले में दो आरोपियों की जमानत याचिका को हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने खारिज कर दिया है। पूर्व में इसी शराब घोटाला मामले में ईडी ने भी इन्हें आरोपी बनाया था, जिसमें इन्हें जमानत मिल चुकी है। इसी आधार पर दोनों आरोपियों ने ईओडब्ल्यू में भी दर्ज शराब घोटाले के मामले में जमानत की मांग की थी। पर जस्टिस अरविंद वर्मा की सिंगल बेंच ने आरोप पत्र में दोनों के खिलाफ अत्यंत गंभीर प्रकृति का अपराध होने के आधार पर जमानत याचिका खारिज कर दी।

छत्तीसगढ़ में 2200 करोड़ रुपए के शराब घोटाला मामले में आबकारी विभाग के निलंबित अफसर अरुणपति त्रिपाठी और त्रिलोक ढिल्लन को आरोपी बनाया गया था। पूर्व में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मई 2023 में आबकारी विभाग के अधिकारी और शराब वितरण कंपनी सीएसएमसीएल के पूर्व एमडी अरुण पति त्रिपाठी को गिरफ्तार किया था। पूछताछ के बाद संलिप्तता के आधार पर ईडी की विशेष अदालत ने उन्हें जेल भेज दिया था। विशेष अदालत से जमानत याचिका खारिज होने के बाद हाईकोर्ट में अपील की गई थी, जिसमें एक बार जमानत याचिका खारिज होने के बाद दूसरी बार में जमानत दे दी गई थी।
भाजपा की सरकार आने के बाद 22 सौ करोड रुपए के शराब घोटाला मामले में ईओडब्ल्यू ने शराब घोटाले और नकली होलोग्राम के मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध दर्ज कर जांच शुरू की। रायपुर महापौर एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर, एपी त्रिपाठी, अरविंद सिंह, नितेश पुरोहित, त्रिलोक ढिल्लन को गिरफ्तार किया था। इसी मामले में यूपी एसटीएफ भी केस दर्ज कर जांच कर रही हैं।
ईओडब्ल्यू द्वारा गिरफ्तार किए जाने पर आबकारी विभाग के निलंबित अफसर एपी त्रिपाठी और कारोबारी त्रिलोक ढिल्लन ने विशेष अदालत से जमानत अर्जी खारिज होने के बाद हाईकोर्ट में जमानत याचिका लगाई थी। जिसकी सुनवाई जस्टिस अरविंद वर्मा की सिंगल बेंच में हुई। सुनवाई के दौरान उनके अधिवक्ता ने पूर्व में ईडी द्वारा और वर्तमान में ईओडब्ल्यू द्वारा दर्ज अपराध को निराधार बताया। साथ ही कहा कि समान घटना पर समान प्रकृति के अपराध में उन्हें ईडी के मामले में बेल मिल चुकी हैं। लेकिन अब उन्हीं तथ्यों के आधार पर ईओडब्ल्यू ने दूसरी एफआईआर कर ली,जो अवैधानिक है।
वहीं ईओडब्ल्यू की ओर से उपस्थित अतिरिक्त महाधिवक्ता विवेक शर्मा ने अपराध की गंभीरता और शराब का सिंडिकेट बनाकर की जा रही वसूली के साक्ष्यों की जानकारी दी। सभी पक्षों को सुनने के बाद बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिसे सोमवार को ओपन किया गया।
अदालत ने माना है कि भ्रष्टाचार वास्तव में मानव अधिकारों का उल्लंघन है। भ्रष्ट लोक सेवकों का पता लगाना और ऐसे व्यक्तियों को दंडित करना भ्रष्टाचार अधिनियम का आदेश है। दोनों आवेदक के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया है जिसमें भ्रष्टाचार और आर्थिक अपराध जैसे प्रकृति के अत्यंत गंभीर आरोप है। लिहाजा आरोपियों को जमानत देना उचित नहीं है। इसके साथ ही सिंगल बेंच ने दोनों आरोपियों की जमानत खारिज कर दी।
बता दे इस मामले में सबसे पहले ईडी ने मई 2023 के पहले हफ्ते में अनवर ढेबर को अरेस्ट किया था। साल 2019 से 2022 तक 2200 करोड रुपए का अवैध धन शराब के सिंडीकेट ने वसूले थे। इसमें छत्तीसगढ़ सरकार के आबकारी विभाग के विशेष सचिव रहे अरुणपति त्रिपाठी और आईएएस अनिल टुटेजा ने भी साथ दिया था।
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