Bilaspur Highcourt News:– मेडिकल कोर्सों में NRI कोटा खत्म करने की याचिका खारिज, हाईकोर्ट ने माना– निजी स्वार्थ, PIL की आड़ में व्यक्तिगत लाभ, अमानत राशि जब्त

Bilaspur Highcourt News:– छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मेडिकल, डेंटल और फिजियोथेरेपी पाठ्यक्रमों में लागू एनआरआई कोटा समाप्त करने की मांग पर दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने याचिका को जनहित नहीं बल्कि निजी हित प्रेरित मानते हुए याचिकाकर्ता की जमा अमानत राशि जब्त करने के निर्देश भी दिए हैं।
Bilaspur, बिलासपुर। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राजपत्र में अधिसूचित मेडिकल प्रवेश नियम 2025 में निर्धारित एनआरआई कोटा को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि याचिका व्यक्तिगत लाभ के उद्देश्य से प्रेरित थी। अदालत ने कहा कि जनहित याचिकाओं का दुरुपयोग अब चिंताजनक प्रवृत्ति बनता जा रहा है, जिसे न्यायालय किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं करेगा।
क्या थी याचिका?
यह याचिका रायपुर निवासी एक समाजसेवी द्वारा लगाई गई थी, जिसमें उन्होंने मांग की थी कि मेडिकल, डेंटल और फिजियोथेरेपी पाठ्यक्रमों में लागू NRI कोटा को असंवैधानिक घोषित कर उसे समाप्त किया जाए। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उनके परिवार और रिश्तेदारों के बच्चे NEET परीक्षा में शामिल हो रहे हैं, लेकिन NRI कोटा के कारण उन्हें मेरिट के बावजूद सीट नहीं मिल पा रही है।
याचिकाकर्ता ने यह भी मांग की थी कि सभी दाखिले केवल NEET मेरिट लिस्ट के आधार पर किए जाएं और किसी भी प्रकार का कोटा लागू न हो। लेकिन अदालत ने याचिकाकर्ता की मंशा पर ही सवाल खड़ा कर दिया।
हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी:
“जनहित याचिका, जनता के व्यापक हित के लिए होती है। यदि इसे निजी स्वार्थ और परिवारिक लाभ के लिए उपयोग किया जाए, तो यह न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है। ऐसी याचिकाओं को गंभीरता से लेने और नज़ीर के तौर पर दंडित करना जरूरी है।”
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता की ओर से दाखिल तथ्यों से कोई सार्वजनिक हित परिलक्षित नहीं होता, बल्कि यह एक प्राइवेट फैमिली बेनिफिट पिटिशन थी। इसलिए इसे जनहित याचिका के दायरे में नहीं लाया जा सकता।
सरकार को मिली राहत, नियम लागू रहेंगे:
इस फैसले के बाद छत्तीसगढ़ शासन द्वारा लागू मेडिकल प्रवेश नियम 2025 और उसमें सम्मिलित NRI कोटा को वैधता मिल गई है। यानि अब कोटा सिस्टम यथावत रहेगा। यह फैसला हजारों NEET अभ्यर्थियों के लिए भी स्पष्टता और दिशा देने वाला साबित होगा।
अदालत ने क्यों जब्त की अमानत राशि?
हाईकोर्ट ने याचिका को सिर्फ खारिज नहीं किया, बल्कि याचिकाकर्ता की जमा अमानत राशि को भी जब्त करने का निर्देश दिया। इसके पीछे उद्देश्य यह था कि अनुचित जनहित याचिकाओं को बढ़ावा ना मिले और PIL के नाम पर निजी एजेंडा चलाने वालों को स्पष्ट संदेश जाए।
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