CMHO के बाद सीनियर को पछाड़ जूनियर डॉक्टरों को बनाया सिविल सर्जन, स्वास्थ्य विभाग में ट्रांसफर का खेला, हाईकोर्ट जा रहे डॉक्टर

रायपुर। प्रदेश में मनमर्जी व राजनैतिक हस्तक्षेप के कारण आए दिन सीएमएचओ, सिविल सर्जन की अदला बदली हो रही है। कई जिलों में वरिष्ठता को दरकिनार करते हुए वैकल्पिक व्यवस्था के बहाने जूनियर डॉक्टरों को सीएमएचओ, सिविल सर्जन बनाया जा रहा है। इससे स्वास्थ्य महकमे की बदनामी तो हो ही रही है साथ ही नेताओं की मनमानी के चर्चे हैं। स्वास्थ्य महकमे में इस बात की भी जमकर चर्चा हो रही है कि ऐसा करने के एवज में पैसे की लेनदेन करने की बात की भी चर्चा है और मनमाने तरीके से लोगों को मनचाही कुर्सी सौंप दी गई। अगर ऐसा हुआ है तो यह काफी गंभीर मसला है और इन तबादलों की जांच होनी चाहिए।

असल में जांजगीर-चांपा जिले में सिविल सर्जन डॉ.अनिल जगत का रायगढ़ तबादला कर दिया गया। और उनकी जगह सूरजपुर में तैनात जूनियर डॉ. दीपक जायसवाल को सिविल सर्जन बना दिया गया। इसी तरह का मामला धमतरी जिले में भी सामने आया है। जहाँ डॉ.अरूण कुमार टोंडर को सिविल सर्जन के पद से हटाकर जूनियर डॉक्टर राजेश सूर्यवंशी को सिविल सर्जन का प्रभार सौंप दिया गया।


सूत्रों के मुताबिक छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग में आजकल सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। और राजनैतिक हस्तक्षेप के कारण ट्रांसफर पोस्टिंग में जमकर मनमानी जारी है। खबर है कि बिना चढ़ावे के ऊपर वाले भी सुनने को तैयार नहीं है। इसका नतीजा यह हो रहा है कि ज्यादातर डॉक्टर खुद के तबादले को चुनौती देने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा रहें हैं।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में इसके पहले भी सीएमएचओ और सिविल सर्जन की पोस्टिंग का मुद्दा पहुंच चुका है। बिलासपुर के एक सिविल सर्जन को चार महीने बाद पद से हटाया गया जबकि जांजगीर में ही सीएमएचओ ने हाईकोर्ट से रोक लगवा दी थी। ऐसे में राज्य के कई डॉक्टर अपने तबादले के खिलाफ होईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में हैं। हाईकोर्ट से कई चिकित्सकों को स्टे ऑर्डर मिल चुका है।
सवाल यह है कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने आखिर इस तरह के तबादले क्यों किये। इतने जूनियर डॉक्टर्स को बड़े पद पर बैठाकर आखिर उपकृत क्यों किया जा रहा है। क्या भाजपा की सरकार में जीरो टॉलरेंस वाली बात बेमानी है।
राज्य में सुपर क्लास वन ऑफिसर को भी कर दिया दरकिनार
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी तबादला आदेशों के बारे में जानकर बताते हैं कि इसमें काफी विसंगतियां हैं। आलम यह है कि CMHO के पद पर बैठे जिन डॉक्टरों के रिटायरमेंट के चंद माह ही रह गए हैं, उन्हें भी कुर्सी से उतारकर सीधे चिकित्सा विशेषज्ञ बना दिया गया है, और उनसे काफी जूनियर को कुर्सी पर बैठने का आदेश दे दिया गया है।
जानकारी के मुताबिक सेवानिवृत्ति के कगार पर बैठे अधिकारियों का तबादला करना ही नियम विरुद्ध होता है, इन वरिष्ठ चिकित्सकों को या तो उसी अस्पताल में जूनियर बनाकर पदस्थ कर दिया गया है या फिर जिले में ही कहीं और तबादला कर दिया गया है।
ऐसे वरिष्ठ डॉक्टरों की फेहरिस्त काफी लम्बी है जिन्हें CMHO के पद से हटाते हुए उनसे जूनियर डॉक्टरों के नीचे बिठा दिया गया है। ऐसे में सीनियर डॉक्टर की मनोदशा पर क्या असर पड़ेगा, यह अच्छी तरह समझा जा सकता है। यही वजह है कि ऐसे अधिकांश वरिष्ठ चिकित्सकों ने तबादला आदेश के विरुद्ध हाई कोर्ट की शरण में जाने का मन बना लिया है।
Live Cricket Info