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बस्ता खाली–जेब खाली” आंदोलन का पहला विस्फोट: धमतरी में NSUI ने फूंका मुख्यमंत्री का पुतला, पुलिस से झड़प, दर्जनों घायल

धमतरी -छत्तीसगढ़ की बिगड़ती शिक्षा व्यवस्था के खिलाफ शुरू हुए NSUI के “बस्ता खाली – जेब खाली” छात्र अधिकार आंदोलन का पहला चरण सोमवार को धमतरी में उग्र रूप में सामने आया। गांधी मैदान में हुए इस प्रदर्शन के दौरान कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का पुतला दहन किया। वहीं, पुलिस और छात्र-कार्यकर्ताओं के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई, जिसमें दर्जनों कार्यकर्ता घायल हो गए।

आंदोलन स्थल बना संघर्ष का मैदान

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NSUI कार्यकर्ताओं द्वारा राजीव भवन से गांधी मैदान तक रैली निकाली गई, जिसके बाद मुख्यमंत्री का पुतला जलाया गया। आरोप है कि प्रदर्शन के दौरान पुलिस बिना अनुमति राजीव भवन में घुस आई और बलपूर्वक कार्यकर्ताओं को खदेड़ने का प्रयास किया। इसी बीच झूमाझटकी हुई, धक्का-मुक्की हुई, और कई छात्र ज़मीन पर गिरकर घायल हो गए। आंदोलनकारियों ने इसे लोकतांत्रिक विरोध की अभिव्यक्ति पर हमला करार दिया।

मुद्दे गंभीर, गुस्सा वाजिब

कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहे NSUI जिला अध्यक्ष राजा देवांगन ने सरकार की शिक्षा नीति पर गहरे सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि—

🔹 परीक्षा प्रणाली पर अविश्वास:

बिलासपुर में PWD सब-इंजीनियर भर्ती परीक्षा में हुए कथित घोटाले ने छत्तीसगढ़ की पूरी परीक्षा प्रणाली को कटघरे में खड़ा कर दिया है। युवाओं का भविष्य लगातार दांव पर है।

🔹 शासकीय स्कूलों में किताबें गायब:

एक महीना बीतने के बावजूद शासकीय और निजी स्कूलों में पाठ्यपुस्तकें नहीं पहुंची हैं। धमतरी ज़िले के ढाई लाख से अधिक विद्यार्थी किताबों के बिना पढ़ाई करने को मजबूर हैं।

🔹 निजी स्कूलों की मनमानी फीस:

शासन के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद निजी स्कूलों ने मनमानी फीस वसूलना जारी रखा है, जिससे अभिभावक आर्थिक बोझ से टूट रहे हैं।

🔹 शासकीय कॉलेजों में अवैध शुल्क वसूली:

जनभागीदारी के नाम पर शासकीय कॉलेजों में अवैध शुल्क वसूली की जा रही है — SC/ST छात्रों को भी कोई राहत नहीं।

🔹 बेरोज़गारों पर भी टैक्स?

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जिला पुस्तकालय में बेरोज़गार युवाओं और प्रतियोगी परीक्षार्थियों से शुल्क वसूला जा रहा है, जो कि पूरी तरह अन्यायपूर्ण है।

🔹 शिक्षकों की भारी कमी:

दर्जनों स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं, कई जगह स्कूलों में ताले लटके हैं, और सरकार अब भी मौन है।

चेतावनी: यह सिर्फ शुरुआत है

राजा देवांगन ने स्पष्ट किया कि यह आंदोलन अभी शुरुआती चरण में है, और अगर—
• परीक्षा घोटालों की CBI जांच,
• नकल माफिया पर कार्रवाई,
• फीस-वृद्धि की वापसी,
• पुस्तक वितरण,
• और शिक्षकों की नियुक्ति जैसे ठोस निर्णय सरकार ने नहीं लिए,

तो आने वाले दिनों में आंदोलन राज्यव्यापी और निर्णायक होगा।

अब चुप नहीं बैठेंगे। छात्र–युवा सड़क से विधानसभा तक संघर्ष करेंगे।”
— राजा देवांगन, NSUI जिलाध्यक्ष

घायल कार्यकर्ताओं को मिला प्राथमिक उपचार

प्रदर्शन के दौरान घायल हुए कार्यकर्ताओं को जिला अस्पताल में प्राथमिक उपचार दिलाया गया। संगठन ने कहा कि घायलों की सूची प्रशासन को सौंपी जाएगी और यदि ज़रूरत पड़ी तो कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।

आंदोलन में प्रमुख रूप से उपस्थित थे:

नमन बंजारे, जय श्रीवास्तव, विश्व देवांगन, नोमेश सिन्हा, चितेंद्र साहू, पारस मणि साहू, सूरज पासवान, देवेंद्र देवांगन, आशुतोष खरे, सुदीप सिन्हा, उदय गुरु, हार्दिक साहू, गजेंद्र साहू, उमेश साहू, इंदर साहू, संजू नेताम, हिमांशु ध्रुव, सुनील सोम, प्रियेश निर्मलकर, लक्की ध्रुव, दुर्गेश साहू, भावेश ढीमर, रोशन वंदे, आशीष साहू, महेंद्र महिलांग, गौरव साहू, पूर्णानंद यादव, दिनेश वाधवानी, नोमेश कोशरिया समेत सैकड़ों छात्र-कार्यकर्ता।

निष्कर्ष:

छत्तीसगढ़ की सड़कों पर छात्रों का गुस्सा अब खुलकर फूटने लगा है। “बस्ता खाली – जेब खाली” आंदोलन छात्रों की निराशा का नहीं, सक्रिय जन-चेतना का संकेत है। यह सरकार के लिए चेतावनी है कि शिक्षा को गंभीरता से लें — नहीं तो आने वाले समय में यह आक्रोश और गहरा हो सकता है।

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