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मामलों की जांच अब होगी तकनीकी निगरानी में,हर साक्ष्य अनिवार्य रूप से ई-साक्ष्य ऐप पर होगा दर्ज,समय पर समन तामील और चालान में देरी पर तय होगी जवाबदेही — SSP रजनेश सिंह

जांच में तकनीकी साक्ष्य की अनिवार्यता, समन तामील में सख्ती — SSP रजनेश सिंह का निर्देश

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सिविल लाइन थाने का औचक निरीक्षण, साक्ष्य और बीएनएस मामलों की गहन समीक्षा

बिलासपुर। जांच अब केवल सवालों की तहकीकात नहीं, तकनीकी साक्ष्यों की पुख्ता बुनियाद पर टिकेगी। बिलासपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह मंगलवार की दोपहर अचानक सिविल लाइन थाने पहुंचे और निरीक्षण के दौरान पुलिस अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए — “हर जांच से संबंधित साक्ष्य साक्ष्य एप पर अनिवार्य रूप से अपलोड किए जाएं।

निरीक्षण के दौरान एसएसपी ने विवेचकों से साक्ष्य एप की उपयोगिता और अब तक की स्थिति की जानकारी ली, साथ ही मौके पर ही मोबाइल फोन पर अपलोड किए गए वीडियो और डेटा का अवलोकन किया। उन्होंने सख्ती से कहा कि प्रत्येक जब्ती की कार्यवाही साक्ष्य एप में दर्ज होनी चाहिए, ताकि बाद में अदालत में प्रस्तुत करने योग्य प्रमाण मजबूत बन सकें।

निरीक्षण में वरिष्ठ अधिकारी भी रहे मौजूद

इस दौरान सीएसपी निमितेष सिंह, एएसपी राजेंद्र जायसवाल और ग्रामीण एएसपी अर्चना झा भी मौजूद रहीं। सीएसपी निमितेष सिंह ने जानकारी दी कि एसएसपी रजनेश सिंह का यह दौरा न केवल औचक था, बल्कि तकनीकी रूप से महत्वपूर्ण भी रहा।

थाना प्रभारी को दी गई विशेष जिम्मेदारी

एसएसपी ने थाना प्रभारी सुम्मत साहू को आदेशित किया कि वे इस पूरे कार्य की दैनिक निगरानी करें, ताकि डिजिटल सबूतों की निरंतरता और प्रामाणिकता बनी रहे। उन्होंने यह भी कहा कि तकनीकी साक्ष्य का सही और समय पर उपयोग आज की विवेचना का अनिवार्य अंग है।

समन तामील की समयसीमा में हो अनुपालन

एसएसपी ने एनस्टेप पोर्टल के माध्यम से मिलने वाले समनों की तामील में किसी भी प्रकार की देरी पर नाराज़गी जाहिर की। उन्होंने सख्त शब्दों में थाना प्रभारी से कहा

समनों की तामील निर्धारित समय में होनी चाहिए, न्यायालयीन प्रक्रिया में देरी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

बीएनएस एक्ट के मामलों में समयबद्ध चालान का निर्देश

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एसएसपी ने निरीक्षण के दौरान भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत दर्ज मामलों में त्वरित चालान प्रस्तुत करने का निर्देश भी दिया। उन्होंने दो स्तरों पर समयसीमा स्पष्ट की
• 10
वर्ष तक की सजा वाले मामलों में 60 दिनों के भीतर चालान
• 10
वर्ष से अधिक की सजा वाले मामलों में 90 दिनों के भीतर चालान प्रस्तुत करना अनिवार्य है।

एसएसपी रजनेश सिंह ने दो टूक कहा

विवेचना में कोई भी लापरवाही, देरी या उदासीनता सामने आई तो संबंधित अधिकारी की जिम्मेदारी तय की जाएगी।

फरियादियों से सीधा संवाद, समाधान का भरोसा

निरीक्षण के दौरान एसएसपी ने थाने में उपस्थित फरियादियों से व्यक्तिगत रूप से संवाद किया और उनकी समस्याओं को गंभीरता से सुना। उन्होंने दिवस अधिकारी को तत्काल और संतोषजनक समाधान सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा

पुलिसिंग की आत्मा केवल विवेचना नहीं, जनसुनवाई की संवेदनशीलता में भी छिपी होती है।

एसएसपी रजनेश सिंह का यह निरीक्षण केवल एक प्रशासनिक प्रक्रिया था, बल्कि पुलिसिंग में तकनीकी दक्षता, समयबद्धता और जवाबदेही को लेकर एक सशक्त संदेश था। बिलासपुर पुलिस अब जांच की परंपरागत सीमाओं से आगे बढ़कर डिजिटल और संवेदनशील पुलिसिंग के एक नए युग की ओर बढ़ रही है।

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Kanha Tiwari

छत्तीसगढ़ के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिन्होंने पिछले 10 वर्षों से लोक जन-आवाज को सशक्त बनाते हुए पत्रकारिता की अगुआई की है।

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