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CG News:–10 हजार लीटर थीनर,और अफसरों की फर्जी निरीक्षण ने ली दो जान,न अनुमति, न सुरक्षा इंतजाम— नियमों की खुली धज्जियां, आग लगी फैक्ट्री में, कटघरे में पूरा सिस्टम

मित्तल फर्नीचर कारखाने में लगी भीषण आग ने छत्तीसगढ़ के औद्योगिक सुरक्षा तंत्र की सिस्टमेटिक नाकामी और अफसरों की चुप्पी को उजागर कर दिया।

CG News: – बिलासपुर के सिरगिट्‌टी औद्योगिक क्षेत्र में स्थित मित्तल फर्नीचर कारखाने में हुआ अग्निकांड प्रशासनिक लापरवाही, नियमों की खुली अनदेखी और कमजोर निगरानी तंत्र का गंभीर उदाहरण बनकर सामने आया है। प्रारंभिक जांच में खतरनाक ज्वलनशील पदार्थ के अवैध भंडारण से लेकर सुरक्षा मानकों के उल्लंघन तक कई गंभीर तथ्य उजागर हुए हैं, बावजूद इसके अब तक किसी ठोस कार्रवाई का अभाव सवाल खड़े करता है।यह हादसा साफ़ कर देता है कि नियमों की अनदेखी और सरकारी मिलीभगत का खामियाजा सीधे आम जनता को भुगतना पड़ता है।

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Bilaspur | बिलासपुर।
मित्तल फर्नीचर कारखाने में लगी आग को लेकर सामने आए तथ्यों ने औद्योगिक सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय प्रशासन की भूमिका पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं। जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि कारखाना परिसर में लंबे समय से तारपीन तेल (थीनर) जैसे अत्यंत ज्वलनशील पदार्थ का बड़े पैमाने पर भंडारण किया जा रहा था, जबकि इसके लिए आवश्यक वैधानिक अनुमति नहीं ली गई थी।

हैरानी की बात यह है कि हादसे के दो दिन बाद भी संबंधित विभागोंऔद्योगिक सुरक्षा, पर्यावरण और प्रशासनकी ओर से कोई ठोस दंडात्मक कार्रवाई नहीं की गई। इस चुप्पी को लेकर यह आशंका जताई जा रही है कि कहीं मामले को दबाने का प्रयास तो नहीं किया जा रहा। शुरुआती जांच में यह भी सामने आया है कि हादसे के बाद भी परिसर में खड़े एक टैंकर में बड़ी मात्रा में थीनर मौजूद है।

जांच के अनुसार, घटना के समय टैंकर से थीनर निकाला जा रहा था। इसी दौरान पास में रखे कंटेनरों के बीच लगे इलेक्ट्रिक बोर्ड में स्पार्किंग हुई, जिससे आग भड़क उठी। आग ने तेजी से आसपास के भंडारण क्षेत्र को अपनी चपेट में ले लिया। राहत की बात यह रही कि आग टैंकर के भीतर नहीं पहुंची, अन्यथा पूरे औद्योगिक क्षेत्र में बड़ा विस्फोट हो सकता था।

10 हजार लीटर ज्वलनशील पदार्थ, बिना अनुमति भंडारण

जांच में यह तथ्य सामने आया है कि कारखाने में लगभग 10 हजार लीटर ज्वलनशील तारपीन तेल संग्रहित था। इसके बावजूद पर्यावरण विभाग से न तो भंडारण की अनुमति ली गई और न ही किसी स्तर पर आपत्ति दर्ज की गई। स्थानीय लोगों का आरोप है कि इतनी बड़ी मात्रा में खतरनाक पदार्थ का लंबे समय तक भंडारण अधिकारियों की जानकारी और मौन सहमति के बिना संभव नहीं हो सकता।

सुरक्षा मानकों की अनदेखी बनी आग की वजह

कारखाने के भीतर जिस क्षेत्र में ज्वलनशील पदार्थ को कंटेनरों में भरा जा रहा था, वहीं मोटर बोर्ड और विद्युत उपकरण स्थापित थे। बताया जा रहा है कि टैंकर से थीनर निकालने के लिए मोटर पंप का उपयोग किया जा रहा था, लेकिन न तो पर्याप्त अर्थिंग थी और न ही सुरक्षित वायरिंग। फ्लेम-प्रूफ और एक्सप्लोजन-प्रूफ फिटिंग अनिवार्य होने के बावजूद इनका पालन नहीं किया गया, जो आग का प्रमुख कारण बना।

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फायर सेफ्टी व्यवस्था कागजों तक सीमित

मौके की जांच में यह भी सामने आया कि कारखाने में न तो फोम आधारित अग्निशमन यंत्र उपलब्ध थे और न ही ऑटोमैटिक स्प्रिंकलर सिस्टम लगाया गया था। आग लगने के बाद पानी से आग बुझाने का प्रयास किया गया, जिससे स्थिति और बिगड़ गई। नियमित फायर ऑडिट और निरीक्षण से जुड़े दस्तावेज भी मौके पर उपलब्ध नहीं पाए गए।

पर्यावरण विभाग की भूमिका पर सवाल

हादसे के बाद भी पर्यावरण विभाग के अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचे। आरोप है कि विभाग फैक्ट्री प्रबंधन को बचाने की कोशिश में अपनी जिम्मेदारियों से पीछे हटता नजर आ रहा है। वर्षों से लगते रहे आरोप इस घटना के बाद और मजबूत होते दिखाई दे रहे हैं कि नियमों का उल्लंघन करने वाली औद्योगिक इकाइयों पर सख्ती नहीं बरती जाती।

आपदा प्रबंधन में भारी खामियां

हादसे के बाद एक श्रमिक के घंटों तक लापता रहने से यह स्पष्ट हो गया कि कारखाने में कर्मचारियों की उपस्थिति का कोई सटीक और अद्यतन रिकॉर्ड नहीं था। न अटेंडेंस रजिस्टर सही मिला और न ही आपात स्थिति में कर्मचारियों की गणना की कोई ठोस व्यवस्था। इसी वजह से अभिजीत सूर्यवंशी के भीतर फंसे होने की पुष्टि देर से हो सकी।

हादसा छिपाने की कोशिश के आरोप

सूत्रों के मुताबिक, आग लगने के बाद फैक्ट्री प्रबंधन ने शुरुआत में स्थानीय कर्मचारियों की मदद से आग बुझाने की कोशिश की और घटना की जानकारी तत्काल दमकल विभाग को नहीं दी। जब आग बेकाबू हो गई, तब जाकर दमकल को सूचना दी गई। समय पर सूचना दी जाती तो नुकसान को काफी हद तक सीमित किया जा सकता था।

अवकाश में खुला दफ्तर, पुराने निरीक्षण जांच के घेरे में

25 दिसंबर को शासकीय अवकाश के बावजूद औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा विभाग द्वारा विशेष रूप से कार्यालय खोलकर दस्तावेजों की जांच शुरू की गई। इससे यह सवाल खड़ा हो गया है कि यदि सब कुछ नियमानुसार था, तो पूर्व निरीक्षण रिपोर्टों में इतनी गंभीर खामियां क्यों दर्ज नहीं की गईं।

अब हर पहलू की जांच, कार्रवाई का भरोसा

औद्योगिक सुरक्षा विभाग के डिप्टी डायरेक्टर विजय सोनी ने बताया कि मामले की हर पहलू से जांच की जा रही है और सभी दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिसकी भी लापरवाही सामने आएगी, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह एक गंभीर मामला है और किसी भी स्तर पर ढिलाई नहीं बरती जाएगी।

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Kanha Tiwari

छत्तीसगढ़ के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिन्होंने पिछले 10 वर्षों से लोक जन-आवाज को सशक्त बनाते हुए पत्रकारिता की अगुआई की है।

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