CG News:– प्रदेश सरकार के प्रभावशाली मंत्री के गृह जिले में सड़क सुरक्षा की स्थिति चिंताजनक, सिग्नल बन गए नशेड़ियों का अड्डा

CG News:– प्रदेश सरकार के प्रभावशाली मंत्री के गृह जिले में सड़क सुरक्षा की स्थिति चिंताजनक, सिग्नल बन गए नशेड़ियों का अड्डा

CG News:– प्रदेश के एक रसूखदार मंत्री के गृह जिले में सड़क सुरक्षा का हाल लगातार खराब होता जा रहा है। सड़क पर नशे की हालत में लोग खुलेआम सोते नजर आ रहे हैं, जिससे उनकी खुद की जान के साथ–साथ राहगीरों और वाहन चालकों की सुरक्षा भी गंभीर जोखिम में है। यह स्थिति साफ तौर पर यह दिखाती है कि प्रशासन की निष्क्रियता और सिस्टम की रिएक्टिव सोच सड़क सुरक्षा में असफलता का कारण बन रही है।


Raigarh रायगढ़: रायगढ़ शहर के चक्रधर नगर सिग्नल पर हालात चिंताजनक बने हुए हैं। यहां लोग नशे की हालत में सड़क पर बेखौफ सोते दिखाई देते हैं। यह न सिर्फ उनकी जान के लिए खतरा है, बल्कि राहगीरों और वाहन चालकों के लिए भी किसी बड़े हादसे का न्योता बन सकता है। प्रदेश के वित्त मंत्री के गृह जिले में यह सड़क सुरक्षा की कमी जनता में नाराजगी और चिंता दोनों बढ़ा रही है।
सिग्नल पर बढ़ता खतरा
दिन हो या रात, सड़क के बीच और किनारे नशे में धुत लोग बेधड़क सोते दिखते हैं। तेज गति में दौड़ती गाड़ियों के बीच यह दृश्य किसी भी पल जानलेवा हादसे में बदल सकता है। स्थानीय लोग बताते हैं कि कई बार चालक अचानक ब्रेक लगाते हैं, जिससे पीछे से आने वाली गाड़ियों के टकराने का खतरा भी बढ़ जाता है।
सिस्टम की रिएक्टिव सोच
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि प्रशासन केवल हादसे के बाद सक्रिय होता है। पहले से मौजूद खतरे के बावजूद न तो नियमित पेट्रोलिंग है और न ही किसी प्रकार की निगरानी। जब कोई दुर्घटना होती है, तभी जांच और औपचारिक कार्रवाई शुरू होती है। चक्रधर नगर सिग्नल की यह स्थिति साफ दिखाती है कि सिस्टम रिएक्टिव है, प्रिवेंटिव नहीं।
प्रिवेंटिव कदमों की कमी
नशेड़ियों को हटाना, सड़क को सुरक्षित बनाना और संवेदनशील इलाकों में लगातार निगरानी रखना प्रशासन की जिम्मेदारी है। बावजूद इसके यहां कोई ठोस कार्रवाई नजर नहीं आ रही है। सड़क पर यह लापरवाही केवल नशेड़ियों की नहीं, बल्कि सिस्टम की चुप्पी का भी नतीजा है।
नशामुक्ति अभियान की हकीकत
सरकार बार–बार नशामुक्ति अभियान की सफलता का दावा करती है। लेकिन वित्त मंत्री के गृह जिले में सड़क पर खुलेआम नशेड़ी घूमते हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि अभियान केवल पोस्टर और विज्ञापनों तक ही सीमित रह गया है। जमीन पर न तो नियमित निगरानी है और न ही सख्त कार्रवाई, जिससे आम जनता की सुरक्षा लगातार खतरे में बनी हुई है।
उठते सवाल:
– क्या वित्त मंत्री के गृह जिले में सड़क सुरक्षा केवल कागजों तक सीमित है?
– क्या प्रशासन आम जनता की जान को लेकर सच में गंभीर है या सिर्फ हादसे के बाद कार्रवाई करने तक ही सीमित है?
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