छत्तीसगढ़ एटीएस ने बड़ा खुलासा किया:डिजिटल जिहाद का खौफनाक नेटवर्क पकड़, दो नाबालिगों गिरफ्तार ,हाई-टेक जांच में उबरा ISIS से जुड़े आतंक का खतरा

हाई-टेक स्कैनिंग में हजारों इंस्टाग्राम IDs जांचे, पाकिस्तान से जुड़े कट्टरपंथी नेटवर्क का खुलासा; किशोर न्याय बोर्ड में पेश नाबालिग गिरफ्तार
रायपुर |18 नवंबर छत्तीसगढ़ पुलिस की एंटी टेररिज्म स्क्वाड (ATS) ने सोमवार को देश में पहली बार नाबालिगों द्वारा संचालित एक डिजिटल ISIS मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया। यह मॉड्यूल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम के माध्यम से सक्रिय था और पाकिस्तान में संचालित एक डिजिटल नेटवर्क से जुड़ा पाया गया। जांच में सामने आया कि इस समूह का उद्देश्य ऑनलाइन कट्टरपंथ फैलाकर स्थानीय किशोरों को संगठनात्मक गतिविधियों से जोड़ना था।
यह कार्रवाई अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (इंटेलिजेंस) अमित कुमार के नेतृत्व में और पुलिस अधीक्षक (एटीएस) राजश्री मिश्रा व उप पुलिस महानिरीक्षक (इंटेलिजेंस) अजातशत्रु बहादुर सिंह के समन्वय में की गई।
मुख्य आरोपी 16 वर्षीय किशोर है, जो मूल रूप से भिलाई का निवासी है और बीते दो वर्षों से रायपुर के टिकरापारा क्षेत्र में रह रहा था। आरोपी सीबीएसई संबद्ध इंग्लिश मीडियम स्कूल का छात्र है और परीक्षा की तैयारी कर रहा था। प्रारंभिक जांच में यह पता चला कि वह इंस्टाग्राम के जरिए पाकिस्तान स्थित एक डिजिटल हैंडलर के संपर्क में आया, जिसने उसे जिहादी विचारधारा और संवेदनशील सूचनाएं जुटाने के निर्देश देना शुरू किया। शुरूआती संवाद धार्मिक चर्चाओं के रूप में थे, लेकिन धीरे–धीरे उनमें हिंसक सामग्री, उग्र वीडियो और संवेदनशील स्थलों से संबंधित जानकारियों के आदान–प्रदान के संकेत मिले।
किशोर ने इंस्टाग्राम पर “ISIS Raipur” नामक समूह बनाया था, जिसमें प्रारंभ में 46 सदस्य जुड़े थे। एटीएस की कार्रवाई के वक्त इनमें से छह सदस्य सक्रिय पाए गए। समूह में नए नाबालिगों को सोशल मीडिया इनवाइट और निजी चैट के माध्यम से जोड़ा जाता था। बाद में इन्हें प्रतिबंधित चैट रूम या एन्क्रिप्टेड क्लस्टरों में स्थानांतरित किया जाता था, जहां सुरक्षित चैनलों से संवाद चलाया जाता था।
खुफिया एजेंसियों को इस डिजिटल मॉड्यूल की जानकारी तब मिली जब हाईटेक सॉफ्टवेयर की मदद से हजारों इंस्टाग्राम प्रोफाइलों की स्क्रीनिंग के दौरान संदिग्ध गतिविधियां दर्ज की गईं। विश्लेषण में ऐसे अकाउंट मिले जिनमें गैर–मुस्लिमों के विरुद्ध नफरत फैलाने वाले संदेश, कश्मीर को “इस्लामिक स्टेट” घोषित करने की बातें, हथियारों की उपलब्धता से जुड़े संदेश और संभावित हमलों के संदर्भ शामिल थे। जांच में यह भी सामने आया कि पाकिस्तानी हैंडलर त्योहारों के दौरान साम्प्रदायिक माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे थे।
ATS ने प्राप्त इनपुट्स के आधार पर अपराध क्रमांक 01/25 दर्ज किया और कार्रवाई को अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट (UAPA) के तहत आगे बढ़ाया। तलाशी के दौरान बरामद लैपटॉप और दो मोबाइल फोन से एन्क्रिप्टेड फोल्डर, हटाए गए चैट लॉग, क्लाउड बैकअप, ऑडियो–वीडियो फाइलें और कई प्रतिबंधित डिजिटल चैट रूम के रिकार्ड मिले। अधिकारी बताते हैं कि डेटा में “ऑपरेशन सिंदूर” नामक संदर्भ भी मिला, जिसमें संवेदनशील सूचनाएं एकत्र करने और विशेष कार्यों के निर्देश दर्ज थे। इससे संकेत मिला कि नाबालिगों को किसी बड़े अंतरराष्ट्रीय मॉड्यूल से जोड़ा जा रहा था।
ATS के अनुसार यह सफल कार्रवाई कई महीनों की फील्ड रिकॉन्नेसांस और तकनीकी ट्रैकिंग का परिणाम है। इस अभियान में संदिग्ध सोशल मीडिया नेटवर्क, विदेशी लिंक और फर्जी डिजिटल पहचान को पहचानने के लिए अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया गया। जांच के विभिन्न चरणों में केंद्रीय खुफिया एजेंसियों से भी सहयोग मिला।
प्रारंभिक पूछताछ से पता चला कि दोनों नाबालिग अन्य किशोरों को भी अपने नेटवर्क में शामिल करने की कोशिश कर रहे थे। वे समूह बनाकर संवेदनशील स्थानों का नक्शा तैयार करने, अस्थिरता फैलाने और डिजिटल नेटवर्क का विस्तार करने पर काम कर रहे थे।
दोनों नाबालिगों को सोमवार को रायपुर और भिलाई से हिरासत में लिया गया। अभिभावकों की मौजूदगी में करीब 24 घंटे की पूछताछ के बाद उन्हें मंगलवार को किशोर न्याय बोर्ड की प्रधान दंडाधिकारी कमिनी वर्मा के समक्ष पेश किया गया। अदालत ने दोनों को माना स्थित किशोर निवास गृह भेजे जाने का आदेश दिया।
एटीएस अधिकारियों ने कहा कि जांच अभी जारी है और जब्त किए गए डिजिटल साक्ष्यों की तकनीकी पड़ताल जारी है। मॉड्यूल से जुड़े स्थानीय या विदेशी संपर्कों की भूमिका पर भी विस्तृत जांच की जा रही है।
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