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तालाब में डूबकर 4 मासूमों की मौत पर हाईकोर्ट सख्त, राज्य सरकार से मांगा जवाब — मुख्य सचिव को शपथपत्र दाखिल करने का आदेश

छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के एक छोटे से गांव भैंसतरा में 12 जुलाई को चार मासूम बच्चों की तालाब में डूबकर मौत हो गई। यह कोई साधारण हादसा नहीं था, बल्कि सरकारी लापरवाही और बच्चों की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलने वाला एक दर्दनाक प्रसंग बन गया। इस घटना ने ना सिर्फ स्थानीय जनमानस को झकझोरा, बल्कि अब छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने भी इसे गंभीरता से लेते हुए स्वतः संज्ञान लिया है। अदालत ने इसे जनहित याचिका के रूप में दर्ज करते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है — और सवाल सीधा है: “आख़िर मासूमों की ज़िंदगी की जिम्मेदारी कौन लेगा?”

कांकेर के बच्चों को जान जोखिम में डाल स्कूल जाने के मामले पर भी अदालत ने जताई गहरी चिंता

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रायपुर/बिलासपुर।
छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के भैंसतरा गांव में तालाब में डूबकर चार मासूम बच्चों की दर्दनाक मौत के मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया है।

मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायमूर्ति विभु दत्त गुरु की डिवीजन बेंच ने इस मामले को जनहित याचिका के रूप में दर्ज करते हुए राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वे व्यक्तिगत शपथपत्र के माध्यम से अदालत को बताएं कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर अब तक कौन-कौन से कदम उठाए गए हैं। अगली सुनवाई 29 जुलाई 2025 को होगी।

क्या है मामला?

यह दर्दनाक हादसा 12 जुलाई को जांजगीर-चांपा के बलौदा थाना क्षेत्र के भैंसतरा गांव में हुआ।
जानकारी के मुताबिक, स्कूल से लौटने के बाद चार बच्चे गांव के तालाब में नहाने गए, जहां गहराई का अंदाज़ा न लगने के कारण सभी डूब गए।

मृत बच्चों की पहचान:
• पुष्पांजलि श्रीवास (8 वर्ष)
• तुषार श्रीवास (5 वर्ष)
• ख्याति केंवट (6 वर्ष)
• अंबिका यादव (6 वर्ष)

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ग्रामीणों को बच्चों के कपड़े तालाब किनारे मिले। इसके बाद खोजबीन शुरू हुई और चारों के शव बरामद किए गए। बलौदा स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाने पर डॉक्टरों ने सभी को मृत घोषित कर दिया।

हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी

सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने तल्ख़ लहजे में कहा —

“कितनी दुखद बात है कि स्कूल से लौटते वक्त चार बच्चे पानी में डूब जाते हैं। यह सिर्फ परिवार की नहीं, सरकार की भी जिम्मेदारी है। बच्चों की सुरक्षा को लेकर राज्य की भूमिका सवालों के घेरे में है।”

कांकेर की घटना पर भी जताई चिंता

हाईकोर्ट ने कांकेर जिले की एक घटना का भी ज़िक्र किया, जहां बच्चे जान जोखिम में डालकर नाला पार कर स्कूल जाते हैं।
कोर्ट ने कहा कि –

यह मामला केवल दुर्घटनाओं का नहीं, बल्कि बच्चों की सुरक्षा, शिक्षा और जीवन के मूल अधिकारों से जुड़ा है। राज्य की लापरवाही इससे साफ़ झलकती है।”

राज्य सरकार को निर्देश

अदालत ने निर्देश जारी किया है कि राज्य सरकार —
मुख्य सचिव के माध्यम से व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करे।
• उसमें यह उल्लेख करे कि बच्चों की सुरक्षा के लिए क्या व्यवस्था है?
• और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या नीति बनाई जा रही है?

पृष्ठभूमि में यह सवाल भी अहम:
• क्या प्रदेश में स्कूलों और बच्चों की सुरक्षा के लिए कोई सक्रिय निगरानी व्यवस्था है?
• क्या ग्रामीण क्षेत्रों में तालाबों, नालों और अन्य जोखिमपूर्ण स्थानों की जानकारी प्रशासन के पास है?
• बच्चों को सुरक्षित आवागमन, खेलने और स्नान जैसे सामान्य कार्यों में भी सुरक्षा क्यों नहीं मिल पा रही?

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