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लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध सरकार की जिम्मेदारी: चीफ जस्टिस,40 गांव के बच्चों के बाल हो रहे सफेद और दांत हो रहे पीले

40 गांव के बच्चों के बाल हो रहे सफेद और दांत हो रहे पीले

गरियाबंद जिले के 40 गांव के बच्चों के बाल हो रहे सफेद और दांत हो रहे पीले

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हाई कोर्ट की नोटिस के बाद हेल्थ सेक्रेटरी ने कोर्ट को बताया कि प्रभावित गांवों में व्यवस्था दुरुस्त की जा रही

बिलासपुर:छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के देवभोग तहसील में 40 ऐसे गांव हैं, जहां के पानी में फ्लोराइड की मांत्रा काफी अधिक है। इससे बच्चों व ग्रामीणों में गंभीर बीमारी फैल रही है। पानी की सांद्रता आठ गुना अधिक है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच के समक्ष बुधवार को सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण ने जवाब पेश किया। डिवीजन बेंच ने कहा कि लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध सरकार की जिम्मेदारी है। जरूरी हिदायत के साथ डिवीजन बेंच ने पीआइएल की अगली सुनवाई के लिए दो सप्ताह बाद कि तिथि तय कर दी है।
देवभोग तहसील के इन गांवों में पीने के पानी में फ्लोराइड जैसी गंभीर बीमारी से ग्रामीणों के अलावा बच्चे ग्रसित हैं। यहां के पानी में इसकी सांद्रता 8 गुना अधिक है। फिल्टरेशन संयंत्र लंबे समय से बंद हैं। पीने के पानी में सुरक्षित सीमा से 8 गुना अधिक फ्लोराइड की मात्रा पाई गई है। अखबार में प्रकाशित को गंभीरता से लेते हुए हाई कोर्ट ने जनहित याचिका के रूप में स्वीकार कर सुनवाई प्रारंभ की है। सोमवार को इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में हुई। कोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट से साफ है कि गरियाबंद जिले के बच्चे डेंटल फ्लोरोसिस से पीड़ित हैं। राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भरत ने कोर्ट से कहा कि इस संबंध में राज्य शासन के विभागीय अधिकारियों से चर्चा करेंगे व जरुरी उपाय पर काम करेंगे।

फ्लोराइड को हटाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं
पानी में फ्लोराइड की सीमा 1.5 पीपीएम है। हालांकि, कुछ गांवों में 2021 में पानी की गुणवत्ता परीक्षण में फ्लोराइड का स्तर 4 पीपीएम के आसपास पाया गया। पानी में फ्लोराइड का उच्च स्तर स्केलेटल फ्लोरोसिस, गठिया, हड्डियों की क्षति, आस्टियोपोरोसिस, मांसपेशियों की क्षति, जोड़ों से संबंधित समस्याएं, थकान, किडनी से संबंधित रोग और अन्य पुरानी बीमारियों का कारण बन सकता है। रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि प्रभावित स्कूलों के प्रधानाध्यापकों के कई प्रयासों के बावजूद, राज्य के अधिकारी पानी से फ्लोराइड को हटाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं, जिससे स्थिति चिंताजनक है।

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गांव के लड़के-लड़कियों के नहीं आ रहे रिश्ते-
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में देवभोग ब्लाक के नांगलदेही गांव के ज्यादातर लोगों के दांत पीले हो रहे हैं। बाल का रंग सफेद हो रहा है। हालात यह कि अब तो दूसरे गांव वाले इस गांव के लड़के-लड़कियों के रिश्ते ठुकरा रहे हैं। इस गांव की आबादी करीब 700 है, जिसमें ज्यादातर लोगों के दांत पीले होने के साथ कमर में अकड़न, घुटने में सूजन, शरीर में दर्द थकान और कमजोरी जैसे बीमारी है.

2016 में फ्लोराइड की हो गई थी पुष्टि-
देवभोग तहसील के 40 गांव में 2016 में फ्लोराइड की पुष्टि हो गई थी। 2021 में इन गांवों में करीब 7 करोड़ खर्च कर फ्लोराइड रिमूवल प्लांट भी लगा दिए गए, लेकिन 6 महीने बाद सभी रिमूवल प्लांट बंद हो गए। ऐसे में ग्रामीण अब भगवान भरोसे जीने को मजबूर हैं। नांगलदेही गांव के हर घर में लोग हड्डियों की बीमारी से जूझ रहे हैं। ग्रामीणों का दावा है कि 700 लोगों की आबादी वाले गांव में 300 से ज्यादा लोगों पर फ्लोराइड का असर है।

ये हैं जिम्मेदार जो बने हैं पक्षकार-
मुख्य सचिव छग शासन, सचिव स्वास्थ्य एवं समाज कल्याण, सचिव लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, सचिव शहरी ग्रामीण विकास विभाग, राज्य सचिव ऊर्जा विभाग, कलेक्टर गरियाबंद, सीएमएचओ गरियाबंद, सीएमओ नगरपालिका परिषद गरियाबंद।

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Kanha Tiwari

छत्तीसगढ़ के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिन्होंने पिछले 10 वर्षों से लोक जन-आवाज को सशक्त बनाते हुए पत्रकारिता की अगुआई की है।

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