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छत्तीसगढ़ में पहली बार: रायगढ़ में 150 से अधिक हाथी जुटे, वीडियो वायरल

रायगढ़ । रायगढ़ जिले में ऐसा पहली बार हुआ है जब 150 से अधिक हाथी एक ही स्थान पर एकत्र हुए हैं। इस दुर्लभ घटना का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें 50 हाथियों का एक बड़ा दल सिथरा मेन रोड पार कर रेल लाइन की ओर जाते देखा गया। घटना के बाद वन विभाग ने इलाके के ग्रामीणों को सतर्क रहने की अपील की है।

 

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हाथियों की भारी मौजूदगी

जिले में कुल 151 हाथी विभिन्न रेंज और बीट में विचरण कर रहे हैं। अकेले छाल रेंज के हाटी बीट में 50 हाथियों का झुंड देखा गया है। इन हाथियों की गतिविधियों पर वन विभाग, हाथी मित्र दल और ड्रोन कैमरों के जरिए निगरानी रखी जा रही है। वन अधिकारियों ने ग्रामीणों से अपील की है कि वे सतर्क रहें और हाथियों से सुरक्षित दूरी बनाए रखें।

 

हाथी शावक की तालाब में डूबकर मौत

वन विभाग के मुताबिक, हाटी बीट के 50 हाथियों के दल में से एक हाथी शावक तालाब में नहाते समय डूब गया। इस घटना के बाद विभाग इस समूह की हर गतिविधि पर बारीकी से नजर बनाए हुए है।

 

हाथियों का क्षेत्रीय वितरण (छाल रेंज)

अकेले छाल रेंज की बात करें तो यहां कुल 58 हाथी अलग-अलग बीट में विचरण कर रहे हैं। जिसमें सर्वाधिक हाथी हाटी बीट में है। जहां कुल 50 हाथी हैं। इसी तरह बेहरामार में दो, छाल में एक, कुडुकेकेला में एक, बनहर में एक, लोटान में एक, औरानारा में एक, बोजिया बीट में एक हाथी विचरण कर रहा है। 58 हाथियों के इस दल में नर हाथी की संख्या 14, मादा हाथी 29 के अलावा 15 बच्चे शामिल हैं।

 

शोध का विषय बन रहा यह व्यवहार

धरमजयगढ़ वन मंडल में एक साथ डेढ़ सौ के करीब हाथियों का झुंड एकत्रित होने की बात को लेकर उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर वरुण जैन से कारण जानने की कोशिश की गई। अफसर का कहना है कि अलग-अलग समूह के हाथियों का झुंड एकत्रित हुआ होगा। अफसर के अनुसार राज्य में इस तरह चार-पांच दल का एक साथ आना शोध का विषय है। अफसर के अनुसार राज्य में विचरण कर रहे हाथियों का परिवार छोटा है। इसीलिए अधिकतम 40 से 50 हाथी एक साथ एकत्रित हो सकते हैं।

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साथी चुनने के लिए होते हैं एकत्रित

हाथियों का दल अलग अलग दिशाओं से एक जगह एकत्रित हो रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो हाथी अपनी बुद्धिमत्ता, घनिष्ठ पारिवारिक संबंधों और सामाजिक जटिलता के लिए जाने जाते हैं, और वे वर्षों तक अन्य व्यक्तियों और स्थानों को याद रखते हैं। वे एक तरल विखंडन-संलयन समाज में रहते हैं, जिसमें माता-संतान के बंधन से लेकर परिवारों, बंधन समूहों, कुलों, स्वतंत्र नरों और अजनबियों तक के रिश्ते फैले हुए हैं। अलग-अलग हाथियों के बीच विशेष संबंध जीवन भर बने रह सकते हैं। हाथी हाथी अपना साथी चुनने और संसर्ग के लिए भी एक जगह पर एकत्रित होते हैं।

 

जुटते हैं शोक प्रकट करने

जब झुंड में किसी की मौत हो जाती है तो हाथी भावनात्मक व्यवहार प्रदर्शित करते हैं। एक हाथी की मृत्यु पर, अन्य हाथी शोक मनाते हैं। शोक कई दिनों या हफ्तों तक चल सकता है, जिसमें हाथी मृत हाथी के शरीर पर अपनी सूंड और पैर रखते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह कृत्य मृत हाथी के प्रति सांत्वना और सहानुभूति का प्रतीक है, जैसे कि किसी प्रियजन के खोने पर अपना दुख व्यक्त करता हो। शोक मनाने के अलावा, हाथियों का झुंड में परिवार के सदस्यों और दोस्तों के बीच मजबूत बंधन प्रदर्शित करने के लिए एकजुट होते हैं। तनाव और संकट के समय में, हाथी एक-दूसरे का समर्थन करने और सांत्वना देने के लिए एक साथ आते हैं।

 

हाथियों के व्यवहार में बदलाव

विशेषज्ञों का मानना है कि छत्तीसगढ़ के हाथियों के व्यवहार में बदलाव देखने को मिल रहा है। आमतौर पर 40-50 हाथियों का झुंड देखा जाता था, लेकिन इस बार 150 से अधिक हाथियों का एकत्र होना असामान्य है।

 

ग्रामीणों के लिए चेतावनी

वन विभाग और विशेषज्ञों ने ग्रामीणों को हाथियों से दूर रहने और उनकी गतिविधियों को लेकर सतर्क रहने की सलाह दी है। ऐसी घटनाएं क्षेत्र में मानव-हाथी संघर्ष का खतरा बढ़ा सकती हैं।

 

यह दुर्लभ घटना छत्तीसगढ़ के वन्य जीवन और हाथियों के सामाजिक व्यवहार को बेहतर तरीके से समझने का अवसर प्रदान करती है।

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Kanha Tiwari

छत्तीसगढ़ के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिन्होंने पिछले 10 वर्षों से लोक जन-आवाज को सशक्त बनाते हुए पत्रकारिता की अगुआई की है।

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