
Bilaspur बिलासपुर। पत्नी पर क्रूरता और परित्याग का आरोप लगा फैमिली कोर्ट में पति ने तलाक के लिए याचिका लगाई थी। फैमिली कोर्ट ने पति की याचिका मंजूर करते हुए तलाक मंजूर किया था। जिसके खिलाफ पत्नी ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई। जस्टिस रजनी दुबे और अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिवीजन बेंच में मामले की हुई सुनवाई में पति के आरोप साबित नहीं हुए और पत्नी के पक्ष मे प्रताड़ना के सबूत मिलने पर फैमिली कोर्ट द्वारा तलाक मंजूरी के लिए दिए गए आदेश को रद्द कर दिया गया।
बिलासपुर में रहने वाले व्यक्ति की शादी जून 2015 में मुंगेली में रहने वाली महिला के साथ हुई थी। पति के अनुसार शादी के कुछ समय बाद ही पत्नी उसके माता-पिता के साथ रहने को तैयार नहीं थी। झगड़े करती थ। आरोप लगाती थी कि उसका अपनी भाभी से अवैध संबंध है। पति ने यह भी कहा कि पत्नी बार-बार मायके चली जाती थी और वापस नहीं आती थी। आखिरकार मार्च 2018 में उसके साथ रहने से इनकार करते हुए अपने मायके चली गई। उसने फैमिली कोर्ट में क्रूरता और परित्याग के आधार पर शादी रद्द करने और तलाक की डिक्री की मांग की।
पत्नी ने लगाए गंभीर आरोप, कोर्ट में दिए मेडिकल दस्तावेज
पत्नी ने जवाब में पति पर आरोप लगाया कि शादी के बाद उससे दहेज के तौर पर 3 लाख रुपए और एक कार की मांग की गई। मांग पूरी नहीं होने पर प्रताड़ित किया गया। पति के मारपीट से उसके कान की झिल्ली फट गई। मेडिकल रिपोर्ट, पुलिस में की गई शिकायत और भाई की गवाही जैसे कई सबूत कोर्ट में पेश किए गए।
पति के पास नहीं थे सबूत, गवाहों की भी कमी
हाई कोर्ट ने रिकॉर्ड देखने के बाद पाया कि पति के अधिकतर आरोपों की पुष्टि करने के लिए कोई सबूत नहीं हैं। उसके माता-पिता, भाई या बहन जैसे परिवार के सदस्य तक गवाही में पेश नहीं किए गए। पड़ोसी और एक सहकर्मी को गवाह बनाया गया, लेकिन उनकी बातों से क्रूरता साबित नहीं होती।
पत्नी के पक्ष में दिया फैसला तलाक आदेश रद्द
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पत्नी ने कोई क्रूरता नहीं की, बल्कि खुद पीड़ित रही। पति तलाक के दोनों आधारों को साबित करने में विफल रहा। हाई कोर्ट ने इस आधार पर फैमिली कोर्ट का 4 मार्च 2023 का आदेश रद्द कर दिया। पत्नी की अपील मंजूर करते हुए तलाक की डिक्री खारिज कर दी।