Highcourt News:– बाल तस्करी से जुड़े सभी मामलों के ट्रायल 6 माह में निपटाने के निर्देश, हाईकोर्ट ने कहा– संगठित अपराधों में देरी से अपराधियों के हौसले बढ़ते हैं

Bilaspur Highcourt News:– बाल तस्करी से जुड़े सभी मामलों के ट्रायल 6 माह में निपटाने के निर्देश, हाईकोर्ट ने कहा– संगठित अपराधों में देरी से अपराधियों के हौसले बढ़ते हैं
Bilaspur Highcourt News:– बाल तस्करी मामलों के संबंध में बिलासपुर हाईकोर्ट ने बड़ा निर्देश जारी किया है। कोर्ट ने कहा है कि बाल तस्करी जैसे संगठित अपराधों से जुड़े सभी मामलों का ट्रायल सर्कुलर जारी होने की तिथि से छह माह के भीतर हर हाल में पूरा किया जाए। इस अवधि में मुकदमों के निपटारे के लिए आवश्यक हो तो अदालतें रोजाना भी सुनवाई करें। रजिस्ट्रार जनरल मनीष कुमार ठाकुर द्वारा जारी इस आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि ट्रायल में देरी की स्थिति में जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
Bilaspur बिलासपुर। चाइल्ड ह्यूमन ट्रैफिकिंग यानी बाल तस्करी के मामलों पर गंभीर रुख अपनाते हुए हाईकोर्ट ने सभी जिला एवं सत्र न्यायालयों को सख्त निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने कहा है कि बाल तस्करी से जुड़े मामलों का ट्रायल छह माह में पूरा किया जाना अनिवार्य होगा, ताकि पीड़ित बच्चों को लंबे समय तक न्याय प्रक्रिया का आघात न झेलना पड़े। इसके लिए न्यायालय यदि आवश्यक समझे तो दैनिक सुनवाई भी सुनिश्चित करें।
हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल मनीष कुमार ठाकुर ने 8 अक्टूबर 2025 को जारी सर्कुलर में कहा है कि यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के 15 अप्रैल 2025 को पिंकी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य मामले में दिए गए निर्देशों के पालन में जारी किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि बाल तस्करी के मामलों में मुकदमों का लंबा खिंचना कानून के उद्देश्य को कमजोर करता है और पीड़ितों को पुनः मानसिक पीड़ा देता है।
हाईकोर्ट ने कहा कि बाल तस्करी जैसे अपराधों की गंभीर और संगठित प्रकृति के बावजूद ट्रायल में देरी होने से अपराधियों के हौसले बढ़ जाते हैं। साथ ही पीड़ित बच्चों को बार-बार अदालतों में पेश होने के कारण मानसिक आघात का सामना करना पड़ता है। इस वजह से अदालत ने सभी जिला न्यायालयों को ऐसे मामलों को प्राथमिकता के साथ सुनने और समयसीमा में निपटाने के निर्देश दिए हैं।
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सभी अदालतों को भेजा गया सर्कुलर
हाईकोर्ट का यह आदेश छत्तीसगढ़ के सभी जिला और सत्र न्यायाधीशों के साथ-साथ अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (SC/ST Act) के तहत कार्यरत विशेष न्यायाधीशों को भी भेजा गया है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राज्य के किसी भी न्यायालय में ऐसे मामले छह माह से अधिक लंबित न रहें।
लापरवाही पर होगी कड़ी कार्रवाई
हाईकोर्ट ने चेतावनी दी है कि बाल तस्करी जैसे संवेदनशील और संगठित अपराधों में ट्रायल में देरी या सर्कुलर के पालन में लापरवाही पाई जाने पर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। न्यायालय ने यह भी कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन अक्षरशः और भावना के साथ किया जाना चाहिए, ताकि बाल संरक्षण कानूनों का उद्देश्य पूर्ण रूप से साकार हो सके।