Bilaspur Highcourt News:– बच्चों को परोसा गया कुत्ते का जूठा भोजन, हाईकोर्ट ने जताई सख्त नाराज़गी – शिक्षा सचिव से मांगा जवाब

Bilaspur Highcourt News:– बलौदा बाजार ज़िले में मिड–डे मील के तहत विद्यार्थियों को कुत्ते द्वारा जूठा किया गया भोजन परोसने के मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने इस घटना को गंभीर लापरवाही मानते हुए स्वतः संज्ञान लिया है और पूछा है – क्या छात्रों को वैक्सीन दी गई? मुआवज़ा मिला? दोषी शिक्षकों और स्व सहायता समूह के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई? अदालत ने स्कूल शिक्षा सचिव से इस पर व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है।
Bilaspur बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार ज़िले के पलारी ब्लॉक अंतर्गत लच्छनपुर मिडिल स्कूल में मिड–डे मील में परोसे गए भोजन को लेकर हाईकोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताई है। यह वही भोजन था जिसे एक आवारा कुत्ता पहले जूठा कर चुका था। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति विभु दत्ता गुरु की खंडपीठ ने इसे “गंभीर लापरवाही और अमानवीय व्यवहार” बताया है।
कोर्ट ने कहा कि बच्चों के लिए परोसा जाने वाला भोजन सिर्फ सरकारी योजना का हिस्सा नहीं, बल्कि उनके स्वास्थ्य और जीवन से जुड़ा अहम विषय है। इस मामले में स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव को 19 अगस्त तक व्यक्तिगत शपथ पत्र सौंपने का निर्देश दिया गया है।
क्या है पूरा मामला:–
प्रकाशित समाचारों के अनुसार, 28 जुलाई 2025 को लच्छनपुर स्कूल में मिड–डे मील के दौरान बच्चों को ऐसा भोजन परोसा गया जिसे एक कुत्ता पहले ही जूठा कर चुका था। बच्चों ने यह बात अपने अभिभावकों को बताई, जिसके बाद स्कूल समिति की बैठक बुलाई गई। इसके बाद 83 बच्चों को एंटी रेबीज वैक्सीन दी गई। हालांकि एक रिपोर्ट में यह संख्या 78 बताई गई है, जिससे आंकड़ों को लेकर भ्रम की स्थिति है।
कोर्ट ने उठाए ये सवाल:–
• क्या सभी प्रभावित छात्रों को समय पर वैक्सीन दी गई?
• दोषी शिक्षकों और स्व सहायता समूह के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई?
• क्या बच्चों को मुआवजा प्रदान किया गया?
• भविष्य में ऐसी घटनाओं से रोकथाम के लिए क्या उपाय किए गए?
स्वत: संज्ञान में चल रही सुनवाई:–
यह मामला हाईकोर्ट की खंडपीठ द्वारा स्वतः संज्ञान में ली गई जनहित याचिका के रूप में विचाराधीन है। इससे पहले अदालत द्वारा नियुक्त आयुक्त की रिपोर्ट के आधार पर महिला एवं बाल विकास विभाग और बलौदा बाजार ज़िला प्रशासन से भी व्यक्तिगत हलफनामा माँगा गया था।
यह अपराध:–
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि रेबीज एक ऐसी बीमारी है, जिसका संक्रमण एक बार हो जाने के बाद उपचार संभव नहीं होता। इसलिए कुत्ते के जूठे भोजन को परोसना केवल लापरवाही नहीं, बल्कि बच्चों की जान को खतरे में डालने जैसा अपराध है।
अगली सुनवाई 19 अगस्त को:–
अब शिक्षा सचिव को 19 अगस्त 2025 तक शपथ पत्र के माध्यम से बताना होगा कि प्रशासन ने अब तक क्या कार्रवाई की है और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए क्या तैयारी है। अदालत ने कहा कि ऐसी एक भी चूक राज्य की योजनाओं की साख और बच्चों के जीवन पर सीधा असर डालती है।
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