छत्तीसगढ़

आयकर सर्वे में रायपुर और धमतरी के सर्राफा कारोबारियों की Rs 15 करोड़ की कर चोरी उजागर

 

– कारोबारियों ने कबूली कर चोरी, अग्रिम कर के रूप में Rs 4.5 करोड़ जमा करने का निर्देश

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– नकद बिक्री छिपाने, फर्जी बिलिंग और अवैध धन उधार देने की गतिविधियां उजागर

– नागपुर से बुलाए गए स्वर्ण मूल्यांकनकर्ता और मुंबई के साइबर फोरेंसिक विशेषज्ञों ने अहम साक्ष्य जुटाए

रायपुर – आयकर विभाग के असेसमेंट विंग (Assessment Wing) ने रायपुर और धमतरी में स्थित दो प्रमुख सर्राफा व्यापारियों द्वारा Rs 15 करोड़ की कर चोरी का पर्दाफाश किया है। यह खुलासा विभाग द्वारा किए गए 30 घंटे से अधिक चले विस्तृत सर्वेक्षण में हुआ, जिसमें ए. एम. ज्वेलर्स (रायपुर) और श्री सेठिया ज्वेलर्स (धमतरी) के व्यावसायिक दस्तावेजों की गहन जांच की गई। सर्वेक्षण के दौरान इन प्रतिष्ठानों में बेहिसाब सोने की बड़ी मात्रा, अवैध धन लेन-देन और अकाउंट बुक्स से बाहर किए गए निवेश का खुलासा हुआ।

आयकर अधिकारियों द्वारा गहन पूछताछ के बाद ए. एम. ज्वेलर्स के संचालक सुनील पारख और उनके पुत्र अंकित पारख ने Rs 10 करोड़ की कर चोरी स्वीकार की, जबकि श्री सेठिया ज्वेलर्स के संचालक राहुल सेठिया ने Rs 5 करोड़ की कर चोरी की बात कबूल की। “ए. एम. ज्वेलर्स की कर चोरी 12 किलोग्राम अतिरिक्त स्वर्ण आभूषणों के रूप में सामने आई, जबकि श्री सेठिया ज्वेलर्स ने 6 किलोग्राम अतिरिक्त सोने के भंडार पर कर देनदारी छिपाई। परिणामस्वरूप, दोनों प्रतिष्ठानों को क्रमशः Rs 3 करोड़ और Rs 1.5 करोड़ का अग्रिम कर 15 मार्च तक जमा करने का निर्देश दिया गया है, साथ ही कर चोरी पर अतिरिक्त दंड भी लगाया जाएगा,” असेसमेंट विंग के सूत्रों ने पुष्टि की।

जांच में यह भी खुलासा हुआ कि दोनों सर्राफा व्यापारियों ने एक संगठित तंत्र विकसित कर नकद बिक्री को आधिकारिक रिकॉर्ड से छुपाया। ये व्यापारी अपने स्वर्ण आभूषणों को छत्तीसगढ़ और ओडिशा के दूर-दराज क्षेत्रों के छोटे व्यापारियों को आपूर्ति कर रहे थे, जिनका भुगतान नकद में किया जाता था, जिससे यह पूरी आय कर व्यवस्था के बाहर रह जाती थी।

सर्वेक्षण के दौरान श्री सेठिया ज्वेलर्स के परिसर से बड़ी संख्या में प्रॉमिसरी नोट्स भी जब्त किए गए, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि यह प्रतिष्ठान अवैध रूप से गिरवी रखे गए गहनों के बदले नकद उधार देने के व्यवसाय में भी शामिल था। “इस लेन-देन की पूरी रकम, जिसमें नकद आगमन और निर्गमन शामिल था, को अकाउंट बुक्स से पूरी तरह बाहर रखा गया था,” असेसमेंट विंग के सूत्रों ने जानकारी दी।

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इसी बीच ए. एम. ज्वेलर्स के स्वामियों द्वारा बेहिसाब नकदी से अचल संपत्ति में निवेश किए जाने के प्रमाण भी सामने आए, जिससे यह संकेत मिलता है कि इस वित्तीय वर्ष 2024-25 में उजागर की गई Rs 15 करोड़ की कर चोरी केवल शुरुआती आंकड़ा हो सकता है। पिछले वित्तीय वर्षों की जांच जारी है, और यह राशि और बढ़ सकती है।

सर्वेक्षण के बाद की प्रक्रिया के तहत कर अधिकारियों ने दोनों सर्राफा व्यापारियों के बयान आयकर अधिनियम की धारा 133 (A) (1) के तहत दर्ज कर लिए हैं। आगे की जांच और दस्तावेजी प्रमाणों की समीक्षा के लिए उन्हें शीघ्र ही फिर से पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा।

मंगलवार दोपहर 12:30 बजे शुरू हुए इस सर्वेक्षण का संचालन मुख्य आयकर आयुक्त (CCIT) अपर्णा करन और प्रधान आयकर आयुक्त (PCIT) प्रदीप हेडाउ की देखरेख में किया गया, जबकि फील्ड ऑपरेशन संयुक्त आयुक्त बीरेंद्र कुमार और उप आयुक्त राहुल मिश्रा के नेतृत्व में हुआ। रायपुर में 22 कर अधिकारियों, फोरेंसिक विशेषज्ञों, सरकारी स्वीकृत मूल्यांकनकर्ताओं और सशस्त्र पुलिसकर्मियों सहित कुल 32 सदस्यों की टीम तैनात की गई थी, जबकि धमतरी में 16 कर अन्वेषकों, फोरेंसिक विशेषज्ञों, स्वर्ण मूल्यांकनकर्ताओं और पुलिसकर्मियों सहित कुल 22 सदस्यों की टीम ने ऑपरेशन को अंजाम दिया। सशस्त्र पुलिसकर्मियों की तैनाती किसी भी संभावित प्रतिरोध को रोकने के लिए की गई थी।

इस सर्वेक्षण में नकद उत्पन्न करने के लिए फर्जी बिलिंग तंत्र, कर चोरी के लिए बनाई गई फर्जी व्यय प्रविष्टियां और डिजिटल लेन-देन के अनेक अनियमितताओं का भी खुलासा हुआ। जांचकर्ताओं ने लैपटॉप, मोबाइल फोन और अन्य डिजिटल डेटा भंडारण उपकरणों से डिजिटल साक्ष्य का क्लोनिंग कर कई गंभीर वित्तीय विसंगतियों को चिह्नित किया।

इस कार्यवाही में नागपुर से आए स्वर्ण मूल्यांकनकर्ताओं और मुंबई के साइबर फोरेंसिक विशेषज्ञों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही, जिन्होंने सोने की सही कीमतों की पुष्टि के साथ-साथ डिजिटल डेटा से साक्ष्य एकत्र किए।

आयकर विभाग इस कार्रवाई को उच्च-मूल्य वाले सर्राफा व्यापारियों पर सख्ती बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम मान रहा है। कर अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि इसी तरह की सख्त कार्यवाहियां जल्द ही अन्य बड़े व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर भी की जाएंगी, ताकि नकद-आधारित उद्योगों में कर चोरी को पूरी तरह रोका जा सके।

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