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813 गांव में जिला पंचायत चला रहा मिशन जल रक्षा अभियान, विभिन्न जतन अपना भूजल स्तर बढ़ाने की कवायद

भूजल स्तर सुधारने के लिए राजनांदगांव जिला पंचायत के द्वारा 813 ग्राम पंचायतों में मिशन जल रक्षा अभियान चलाया जा रहा है। जिसमें वृक्षारोपण, फसल संगोष्ठी,  2250 मिनी परकोलेशन टैंक का निर्माण,जियो टैगिंग, 20 हजार से अधिक सोकपीट का निर्माण किया गया है।


राजनांदगांव। विश्व पर्यावरण दिवस पर भूजल स्तर सुधारने के लिए राजनांदगांव जिला पंचायत ने अनूठा प्रयास शुरू किया है। जिसके तहत  तीन जिलों के 813 ग्राम पंचायतों में  मिशन जल रक्षा चला भू जल स्तर को सुधारने का कार्य किया जा रहा है। इन गांव में नरेगा के माध्यम से जीआईएस के द्वारा भूजल का सर्वे करवा उसे सुधारने के प्रयास किए जा रहे हैं।    ग्रामीणों को फसल विविधता के जरिए धान की बजाय अन्य नगदी फसले लेने हेतु प्रेरित किया जा रहा है। ग्रामीण हो गया समझाया जा रहा है की धान की बजाय अन्य फसले ज्यादा लाभकारी होती है।

राजनांदगांव जिला पंचायत के द्वारा ग्राउंडवाटर बोर्ड के पार्टनरशिप में पिछले एक माह से युद्ध स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है। जिसमे तीन कैटेगरी में ग्रामों को बाटकर पहाड़ी एरिया, भाटा एरिया व प्लेन एरिया में कंपनी वाली खेती मक्का कपास आदि को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।

देखा जा रहा है कि जहां एक ओर पूरे देश में तापमान अर्द्धशतक की ओर बढ़ रहा है। गर्मी इतनी की घरों से निकल पाना मुश्किल होने लगा है। लोग अपने कामों को सुबह 10 बजे के पहले या शाम 5 बजे के बाद के लिये टालते नजर आ रहे है। स्वाभाविक सी बात है, तापमान का बढ़ना और पानी के स्तर का घटना एक-दूसरे के पर्यायवाची है और इन सबके समाधान के लिये अगर प्रयास आज नहीं किये गये तो निश्चित ही देर हो सकती है। जिला राजनांदगांव में सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड की रिपोर्ट अनुसार 03 ब्लॉक अपने जल स्तर के विषय पर सेमी क्रिटीकल जोन अर्थात गंभीरता के स्तर में आ चुके है। जिले के 85 प्रशित भू-जल का उपयोग आज हम सिंचाई के लिये कर रहे है। 13 प्रतिशत घरेलू उपयोग के लिये एवं 2 प्रतिशत उद्योगों के लिये किया जा रहा है। प्रदेश में राजनांदगांव जिला सर्वाधिक भू-जल का उपयोग वाले जिलों में से एक है। जिले का औसतन वर्षा माप 1208 मि.मी. के लगभग है तथा सिंचाई के लिये मूल रूप से 50 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र बोर एवं ट्यूबवेल पर निर्भर है। जिससे जिले का औसतन भू-जल स्तर के लगभग आ चुका है। जिससे बचने के लिये जिले के हर नागरिक को प्रयास किया जाना अब अनिवार्य प्रतीत होता है।
इन सभी आंकड़ों को देखते हुये भविष्य में बढ़ती पानी की समस्या, बढ़ता हुआ तापमान एवं घटते भू-जल स्तर में सुधार हेतु जिला प्रशासन राजनांदगांव द्वारा निरंतर प्रयास किये जा रहे है, जिसमें मिशन जल रक्षा अंतर्गत जिले के सम्पूर्ण क्षेत्रों में माइक्रो लेवल पर प्लानिंग की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुये ओपन सोर्सेज के नक्शों का तथ्यात्मक आंकलन करते हुये जीआईएस आधारित योजना तैयार की गई है, जिसके अंतर्गत सर्वप्रथम किसी भी क्षेत्र में कार्य करने के लिये आवश्यक शासकीय भूमि का आंकलन अनिवार्य होता है, जिस हेतु भुईयां सॉफ्टवेयर के माध्यम से ग्राम पंचायतों के शासकीय भूमियों का नक्शा निकाल कर भूमियों को चिन्हांकित किया गया।

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जिसके पश्चात भुईयां मैप पर कंटूर मैप एवं टोपोग्राफी मैप सुपर इंपोज करते हुये ग्राम पंचायतों की उंची पहाड़ी वाली क्षेत्रों एवं लो लाईन वाले क्षेत्रों का चिन्हांकित करते हुये नक्शा तैयार किया गया। सामान्य रूप से इस बात को समझा जा सकता है, कि पहाड़ी क्षेत्रों में पानी का रूकना संभव नहीं होता इस हेतु उन क्षेत्रों में भूजल संवर्धन वाले रिचार्ज संरचनाओं की योजना तैयार की गई तथा लो लाईन अर्थात पानी के जमाव वाले क्षेत्रों में जल संरक्षण (वाटर स्टोरेज) वाले संरचनाओं की योजना तैयार की गई।

जिसके पश्चात जिले का जियोलॉजी मैप तैयार करते हुये जिले के विभिन्न क्षेत्रों में किस प्रकार के खनिज किन क्षेत्रों में पाये जाते है एैसे  खनिज क्षेत्र जो पानी को ज्यादा से ज्यादा रिचार्ज कर सके की जानकारी निकाली गई तथा सरफेस एवं सबसरफेस लेवल पर पानी के रिचार्ज के संबंध में आंकलन किया गया।



जिसके पश्चात जिले का ड्रेनेज मैप तैयार करते हुये पानी के बहाव एवं पाथ की जानकारी एकत्रित की गई तथा उक्त नक्शे को कंटूर मैप, भुईयां मैप एवं जियोलॉजी मैप पर सुपर इंपोस (एक के उपर एक रखते हुये) करते हुये जिलेे के ड्रेनेज पैटर्न का डाटा तैयार किया गया। तत्पश्चात भुवन पोर्टल के माध्यम से जिले का लिनियामेंट फ्रैक्चर जोन मैप निकालकर ऐसे स्थल जहां से लिनियामेंट गुजरता हो को चिन्हांकित किया गया अर्थात ऐसे क्षेत्र जहां जमीन के नीचे ऐसी गैप उपलब्ध है, जहां से पानी का ज्यादा से ज्यादा रिचार्ज किया जा सकता है, को ग्राम पंचायत के मैप पर अं िकत किया गया। जिसके पश्चात संरचनाओं की पुखता लोकेशन की जानकारी के साथ निर्माण कार्यों के लिये योजनाबद्ध तरीके से संरचनाएं तैयार किये जाने हेतु जानकारी तैयार की गई। जिसके साथ-साथ ग्राम पंचायतों में पूर्व से निर्मित समस्त जल संरक्षण संवर्धन संबंधित संरचनाओं को लोकेशन के साथ जियोटैग करते हुये नक्शा तैयार किया गया। (योजना का सुपर इंपोज मैप)
उक्त योजना के संबंध में जानकारी तैयार करने के उपरांत सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड, रायपुर एवं छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, रायपुर (सीजी कॉस्ट) से योजना के संबंध में जानकारी प्रदान करते हुये चरणबद्ध तरीके से किये जा रहे कार्यो का प्रस्तुतीकरण किया गया जिस पर सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड, रायपुर एवं छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, रायपुर (सीजी कॉस्ट) द्वारा उक्त वैज्ञानिक जीआईएस पद्धति को सही बताते हुये आगे सहयोग एवं मार्गदर्शन हेतु सहमति व्यक्त की गई।
जिले में अब तक मिशन जल रक्षा अंतर्गत 2250 से अधिक मिनी परकोलेशन टैंक का निर्माण, ढाई लाख से अधिक स्ट्रैगर ट्रेंच का निर्माण, 5349 से अधिक पुराने जल संरक्षण संबंधी संरचनाओं की जियो टैगिंग, 981 सीसीटी, 100 से अधिक गैबियन स्ट्रक्चर, 800 से अधिक एलबीसीडी, 564 से अधिक ड्रेनेज नेटवर्क, 3000 से अधिक लीचपिट, 20000 से अधिक सोकपिट का निर्माण किया गया है। कार्य योजना के तहत कार्य निरंतर संचालित है, जिसमें जिले में समस्त विभागों से अभिसरण के तहत कार्य करते हुये जिले के जल स्तर वृद्धि में बेहतर प्रयास किये जा रहे है। उपरोक्त समस्त आंकड़ों, नक्शों, रिपोर्ट एवं फील्ड सर्वे केे आंकलन से यह बात निकल कर आई है, कि जब तक कम से कम पानी के उपयोग वाली फसलों को बढ़ावा नहीं दिया जायेगा तथा द्वितीय फसल के रूप में धान को छोड़ अन्य फसलों पर जोर नहीं दिया जाएगा तब तक पानी की आने वाली समस्या से आसानी से निजाद पाना आसान नहीं होगा। जिसके अगली कड़ी के रूप में जिला प्रशासन द्वारा किसानों, कृषि उद्योग से संबंधित उद्योगपतियों, कृषि उत्पादन संगठन, सीएलएफ एवं कृषि संबंधित अन्य व्यक्तियों को आमंत्रित कर एग्रीकल्चर मीट का आयोजन किया गया। जिसमें राजनांदगांव, मोहला-मानपुर-अं.चौकी एवं खैरागढ़-छुईखदान-गण्डई तीनों ही जिले के लोग सम्मिलित हुये। कार्यक्रम अंतर्गत कृषि विभाग एवं उद्यानिकी विभाग द्वारा धान के बदले अन्य फसलों एवं उद्यानिकी उत्पाद के संबंध में जानकारी प्रदान की गई। किसानों को धान एवं अन्य फसलों में होने वाले व्यय, मेहनत एवं आय के संबंध में विस्तृत चर्चा करते हुये कृषि उत्पाद से संबंधित उद्योगपतियों से सीधे संपर्क हेतु अवसर प्रदान किये गये। जिसके तहत बड़े किसान समूह अपने उत्पाद को सीधे उद्योगों तक अच्छे दर पर बेचने के लिये सक्षम हो सके। जिले के प्रत्येक ग्राम पंचायत मे कृषि विभाग, पंचायत विभाग, उद्यानिकी विभाग के संयुक्त प्रयासों के रूप में जल संरक्षण स्वच्छता एवं फसल संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है, जिसके अंतर्गत प्रत्येक ग्राम पंचायत में कार्यक्रम का आयोजन कर ग्राम के समस्त नागरिकों, किसानों, महिलाओं एवं युवाओं को घटते जल स्तर, फसल चक्र में परिवर्तन, अन्य फसलों से होने वाले लाभ तथा मिशन जल रक्षा की सम्पूर्ण जानकारी एवं कार्ययोजना का विवरण प्रदान करते हुये ग्रामीणों से सुझाव प्राप्त कर अपने कार्ययोजना के नक्शें को अंतिम रूप प्रदान किया जा रहा है। जिसके पश्चात जिले अंतर्गत जल्द ही वृहद स्तर पर वृक्षारोपण की कार्ययोजना तैयार करते हुये ब्लॉक वृक्षारोपण, नदी तट वृक्षारोपण, सड़क किनारे वृक्षारोपण, क्लोस्ड कैम्पस शासकीय भवनों में वृक्षारोपण की कार्यवाही की जावेगी। साथ ही साथ समस्त निजी स्कूलों, कॉलेजो, उद्योगों एवं कॉलोनियों आदि से अधिक से अधिक वृक्षारोपण हेतु अपील करते हुये जिला राजनांदगांव में भू-जल स्तर सुधार हेतु मिशन जल रक्षा अंतर्गत प्रयासरत है।

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Kanha Tiwari

छत्तीसगढ़ के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिन्होंने पिछले 10 वर्षों से लोक जन-आवाज को सशक्त बनाते हुए पत्रकारिता की अगुआई की है।

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