बलात्कार, फिर साक्ष्य मिटाने के लिए चोरी और अब शर्तिया जमानत – लेकिन खत्म नहीं हुई निखिल चंद्राकर की मुश्किलें

रसूख का आतंक, पुलिस की चुप्पी और पीड़िता की सतत लड़ाई
रायपुर | न्यायधानी.कॉम
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक महिला के साथ हुए दुष्कर्म और फिर उसी घटना के साक्ष्य मिटाने के लिए उसके घर में चोरी की साजिश रचने वाला आरोपी निखिल चंद्राकर फिलहाल उच्च न्यायालय से शर्तिया जमानत पर बाहर है। लेकिन उसकी कानूनी मुश्किलें अब भी कम नहीं हुई हैं। हाईकोर्ट ने इस पूरे मामले की सुनवाई छह माह के भीतर पूरी करने के आदेश दिए हैं, जिससे यह केस अब निर्णायक मोड़ पर है।
721 दिन तक चुप बैठी रही पुलिस, सबूत मिटाने की घटना पर नहीं की कार्रवाई
पूरा मामला बेहद गंभीर है। पीड़िता के मुताबिक, 11 नवंबर 2022 को निखिल चंद्राकर ने पत्नी तलविंदर चंद्राकर उर्फ चिक्की, बेटी ईशिता चंद्राकर उर्फ हनी और सहयोगियों के साथ मिलकर पीड़िता के किराए के मकान का ताला तोड़कर कब्जा किया।
इसके बाद 28 दिसंबर 2022 को निखिल ने अपने साथियों निलेश सरवैया और गणेश वर्मा को भेजकर बलात्कार से संबंधित मेडिकल दस्तावेज और शैक्षिक प्रमाण पत्र की चोरी करवाई। यह पूरी घटना CCTV फुटेज में कैद थी।
लेकिन जब पीड़िता खम्हारडीह थाने पहुंची और तत्कालीन टीआई विजय यादव को फुटेज और लिखित शिकायत सौंपी, तो उन्होंने न सिर्फ मामला दर्ज करने से इनकार किया, बल्कि पीड़िता को झूठे केस में फंसाने की धमकी देकर थाने से बाहर निकाल दिया।
पुलिस ने पूरे 721 दिन तक यह गंभीर मामला दबाए रखा, और FIR संख्या 552/2024 दर्ज हुई 19 दिसंबर 2024 को — वह भी जब पीड़िता ने वरिष्ठ अधिकारियों से बार–बार गुहार लगाई।
थाने में खुलेआम अपमान — निखिल के साले सोनू गरचा की गुंडागर्दी
इस केस में एक और चौंकाने वाली घटना सामने आई। जब पीड़िता बयान देने थाने पहुंची, तो वहां निखिल चंद्राकर का साला सोनू गरचा (तलविंदर का भाई) पुलिस की मौजूदगी में पीड़िता के हाथ मरोड़कर अपमानित करता रहा और उसके चरित्र पर भद्दी टिप्पणियां करता रहा।
टीआई ने तब भी कार्रवाई नहीं की। बाद में वरिष्ठ अधिकारियों के हस्तक्षेप और फटकार के बाद मामला दर्ज किया गया।
बलात्कार की FIR भी 193 दिन की देरी से — महिला आयोग के हस्तक्षेप से ही दर्ज हुई
पीड़िता ने निखिल चंद्राकर के खिलाफ दुष्कर्म की शिकायत पहले ही की थी, लेकिन टीआई विजय यादव ने उस पर भी कोई कार्यवाही नहीं की। यह एफआईआर राष्ट्रीय महिला आयोग के दखल और दबाव के बाद 193 दिन की देरी से दर्ज हुई।
प्रणालीगत हमले — पीड़िता पर प्राणघातक हमला भी कर चुका है गिरोह
पीड़िता का आरोप है कि निखिल, तलविंदर, ईशिता और उनके साथियों ने उस पर प्राणघातक हमला भी किया था। मकसद साफ था — शिकायतें वापस लेने का दबाव बनाना।
चोरी और जबरन कब्जे की सुनियोजित साजिश
11 नवंबर 2022 को निखिल और उसके परिवार ने पीड़िता के किराए के मकान पर कब्जा जमाया और फिर 28 दिसंबर 2022 को साक्ष्य मिटाने की नियत से मेडिकल दस्तावेज और प्रमाण पत्र चुरवाए गए।
इस मामले में निलेश सरवैया और गणेश वर्मा को सह–आरोपी बनाया गया है। खुद निखिल को 17 अप्रैल 2024 को इस चोरी मामले में औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया गया — तब तक वह कोयला घोटाले में जेल में था।
निखिल चंद्राकर — रसूखदार अपराधी और सत्ता से जुड़ा नाम
निखिल का नाम पहले भी चर्चाओं में रहा है। वह छत्तीसगढ़ के कोयला घोटाले में ईडी और EOW की जांच में आरोपी रहा है। पुलिस रिकॉर्ड में वह एक संगठित आपराधिक गिरोह चलाने वाला शातिर बताया गया है।
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस शासनकाल में वह कई वरिष्ठ अधिकारियों का नजदीकी था। अक्सर अपनी पत्नी और बेटी को ढाल बनाकर कानूनी कार्रवाई से बचता रहा।
SSP तक को किया सूचित, फिर भी नहीं मिली मदद
जब पीड़िता ने खम्हारडीह थाने में अपमान और धमकी झेली, तो उसने तत्कालीन एसएसपी प्रशांत अग्रवाल को व्हाट्सएप पर पूरा वाकया लिखा और मदद की गुहार लगाई। लेकिन वहां से भी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। आवेदन पढ़ लिया गया, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई।
अब सवाल उठता है — क्या रायपुर में रसूख कानून से ऊपर है?
जब राजधानी रायपुर में एक महिला को दुष्कर्म, कब्जा, चोरी, धमकी और हमले जैसे कई अपराधों का शिकार बनाया जाता है, जब थाने में सरेआम उसका अपमान होता है, जब पुलिस वर्षों तक शिकायत नहीं सुनती — तब सवाल उठते हैं:
क्या रायपुर अब “क्राइमपुर” बन चुका है?
क्या पुलिस और प्रशासन रसूख के सामने नतमस्तक हैं?
क्या पीड़िता के अधिकार सत्ता और प्रभाव की बलि चढ़ चुके हैं?
अब न्यायपालिका की निगरानी में उम्मीद
अब जबकि माननीय उच्च न्यायालय ने इस केस के ट्रायल को 6 महीने के भीतर पूरा करने का आदेश दिया है, उम्मीद है कि पीड़िता को न्याय मिलेगा। लेकिन सवाल अब भी कायम है — कितने और पीड़ितों को सिस्टम यूं ही तोड़ता रहेगा?
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