रिश्तेदारी और राजनीति की साजिश जमीन और 23 लाख गंवाकर इंसाफ मांग रही 80 वर्षीय महिला,अब ठोकरें खा रही-यही है क्या सुशासन?

भाई–भतीजे और भाजपा नेता की साजिश का शिकार, न्याय की आस में दर–दर भटक रही बुजुर्ग

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के बेलगहना क्षेत्र से इंसानियत को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। यहां की 80 वर्षीय महिला, जिसने पूरी जिंदगी संघर्ष कर अपनी संपत्ति और पूंजी जोड़ी, आज अपने ही अपनों और नेताओं की साजिश का शिकार हो गई है। पहले उसकी पुश्तैनी जमीन छल–कपट से हड़प ली गई और अब उसके खाते से पूरे 23 लाख रुपये गायब कर दिए गए। न्याय की उम्मीद में यह महिला तहसील और जिला मुख्यालय के चक्कर काट रही है, मगर कहीं सुनवाई नहीं हो रही।

अंगूठे के सहारे हड़पी गई पुश्तैनी जमीन
पीड़िता का कहना है कि भाजपा से जुड़े एक प्रभावशाली नेता ने उसकी अशिक्षा का फायदा उठाया। महिला अनपढ़ और अंगूठा छाप है। इसी कमजोरी का इस्तेमाल कर उससे कागज़ों पर अंगूठा लगवा लिया गया। महिला को यह कहकर बरगलाया गया कि यह सामान्य दस्तावेज़ हैं, जबकि असलियत में उन्हीं कागज़ों के जरिए उसकी पुश्तैनी जमीन हड़प ली गई।

भाई–भतीजे ने उड़ाए 23 लाख रुपये
जमीन छिनने के बाद महिला को सबसे बड़ा झटका अपने ही परिवार से मिला। उसने आरोप लगाया कि उसका भतीजा फागुन उर्फ मोनू प्रजापति ने 14 दिसंबर 2021 को उसके बैंक खाते से 23 लाख रुपये अपने खाते में ट्रांसफर करा लिए।
महिला को तब सच्चाई का पता चला जब वह रोज़मर्रा के खर्च के लिए बैंक गई। वहां अधिकारियों ने बताया कि खाते में एक भी रुपया शेष नहीं है। जब बैंक रिकॉर्ड निकाले गए तो खुलासा हुआ कि पूरे 23 लाख रुपये फागुन प्रजापति के खाते में ट्रांसफर हो चुके हैं।

पति और दो बेटों की मौत के बाद टूटा सहारा
बुजुर्ग महिला पहले ही बड़े दुख झेल चुकी है। उसके पति और दो बेटों का निधन हो चुका है। अब वह अपनी बेटी के सहारे जीवन बिता रही है। मगर जमीन और बैंक बैलेंस दोनों गंवाकर वह पूरी तरह असहाय हो चुकी है।
भाजपा नेता का रसूख, अपराध दर्ज नहीं
महिला का आरोप है कि भाजपा से जुड़े नेता इस पूरे मामले को दबाने के लिए राजनीतिक दबाव बना रहे हैं।
1 पुलिस को शिकायत देने के बावजूद अब तक ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
2 उल्टे महिला को धमकियां दी गईं कि वह अपनी लड़ाई छोड़ दे।
3 आसपास के नेताओं से अपराध दर्ज न हो, इसके लिए जुगाड़ लगाए जा रहे हैं।
संवेदनहीनता पर उठे सवाल
प्रदेश में लगातार महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान की बात होती है, लेकिन सच्चाई यह है कि एक 80 वर्षीय महिला अपनी जमीन और जमा पूंजी के लिए दर–दर भटक रही है। यह मामला प्रशासन और राजनीति की संवेदनहीनता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
समाज और ग्रामीणों का आक्रोश
स्थानीय ग्रामीणों और सामाजिक संगठनों ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया जताई है। उनका कहना है कि यदि इतनी उम्रदराज महिला को भी न्याय नहीं मिल पा रहा, तो आम जनता के अधिकारों और सुरक्षा का क्या होगा? ग्रामीण इसे पूरे समाज की अस्मिता और सम्मान का सवाल बता रहे हैं।
न्याय की पुकार
आज यह 80 वर्षीय महिला बेटी के सहारे अपनी बाकी जिंदगी गुजार रही है। वह तहसील, थाना और जिला मुख्यालय के चक्कर काट रही है। उसकी आंखों में सिर्फ एक सवाल है –
क्या मुझे मेरी जमीन और पैसे वापस मिलेंगे या मेरी आवाज़ यूं ही दबा दी जाएगी?
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