छत्तीसगढ़

जनजातीय लोक संस्कृति के रंग में सराबोर बस्तर पण्डुम के जिला स्तरीय आयोजन का समापन

कोंडागांव । जनजातीय संस्कृतियों और परंपराओं से सजी बस्तर पण्डुम के जिला स्तरीय आयोजन का समापन आज स्थानीय जनप्रतिनिधियों और समाज के प्रमुखजनों की उपस्थिति में हुआ।

कोंडागांव के स्थानीय ऑडिटोरियम में आयोजित इस दो दिवसीय कार्यक्रम में बस्तर की समृद्ध जनजातीय संस्कृतियों और परंपराओं को सभी विकासखंड से आए कलाकारों ने बहुत ही सुंदर प्रस्तुतियों के साथ प्रदर्शित किया। कार्यक्रम में केशकाल विकासखंड के प्रतिभागियों ने जनजातीय नाट्य विधा में बस्तर की लोक संस्कृति को दर्शाती आमा जोगानी त्योहार को बहुत ही सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया, वहीं फरसगांव विकासखंड के प्रतिभागियों ने धनकुल गीत के माध्यम से पुरातन वाद्य यंत्रों का प्रदर्शन किया। इसी तरह कोंडागांव विकासखंड के कलाकारों ने बस्तर के जनजातीय समाज के पारंपरिक परिधान और आभूषणों को दिखाया। साथ ही विलुप्त हो रहे वाद्य यंत्र विधा में कई वाद्य यंत्रों का स्थानीय बोली में परिचय के साथ प्रदर्शन किया गया।

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समापन समारोह के मुख्य अतिथि नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष  नरपति पटेल ने कहा कि जनजातीय समाज में जन्म से लेकर मृत्यु तक हर अवसर में लोक संस्कृति की झलक दिखाई देती है। इस परंपरा और संस्कृति को संरक्षित करने के लिए राज्य शासन लगातार प्रयासरत है और इसके संरक्षण में युवा पीढ़ी की भागीदारी भी आवश्यक है।

जिला पंचायत उपाध्यक्ष  हीरा सिंह नेताम तथा नगर पालिका परिषद के उपाध्यक्ष  जसकेतु उसेंडी ने भी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री  विष्णु देव साय की दूरदर्शी सोच के तहत बस्तर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से श्बस्तर पण्डुमश् का आयोजन किया जा रहा है।

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उल्लेखनीय है कि आधुनिकता के इस युग में हमारी युवा पीढ़ी जनजातीय संस्कृति और परंपराओं से दूर होती जा रही है और आधुनिकता की चकाचौंध में खो रही है। ऐसे में छत्तीसगढ़ सरकार, मुख्यमंत्री  विष्णु देव साय के नेतृत्व में बस्तर पंडुम जैसे आयोजन के माध्यम से जनजातीय संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल शुरू की है।

यह आयोजन न केवल हमारी विलुप्त होती लोककला, नृत्य, गीत और संगीत को संजोने का अवसर प्रदान कर रही है, बल्कि हमारी युवा पीढ़ी को भी अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से परिचित करा रही है, जिससे वे गर्व की अनुभूति कर सकें। इस आयोजन में पहली बार कई ऐसी जनजातीय परंपराएँ और लोक कला देखने को मिल रहे हैं, जो लुप्त होने के कगार पर हैं। हमें अपनी इन अमूल्य धरोहरों को सहेजने की आवश्यकता है, ताकि हमारी समृद्ध जनजातीय संस्कृति और परंपराएँ पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती रहें और समाज में अपनी विशिष्ट पहचान बनाए रखें।

 

समापन समारोह में जिला स्तरीय प्रतियोगिता में जनजातीय लोक नृत्य विधा में फरसगांव विकासखंड, पारंपरिक वेशभूषा एवं आभूषण, जनजातीय लोक गीत, लोक नाट्य और वाद्ययंत्र विधा में केशकाल, पेयपदार्थ एवं व्यंजन, शिल्पकला एवं चित्रकला विधा में कोंडागांव विकासखंड के उत्कृष्ट प्रदर्शन कर प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों सहित एडीएम चित्रकांत चार्ली ठाकुर, समाज के प्रमुख, मांझी मेंबर, गायता पुजारी उपस्थित रहे।

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Kanha Tiwari

छत्तीसगढ़ के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिन्होंने पिछले 10 वर्षों से लोक जन-आवाज को सशक्त बनाते हुए पत्रकारिता की अगुआई की है।

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