छत्तीसगढ़रतनपुर

तालाबों के अस्तित्व पर मंडरा रहा है संकट,पट गए अनेक तालाब ,बचे खुचे रसूखदारों के कब्जे में

रतनपुर- तालाबों की नगरी कहे जाने वाले पौराणिक नगरी रतनपुर के तालाबों का हाल बेहाल है,बेजाकब्जा धारियों के चलते बड़े बड़े तालाब छोटी छोटी डबरी में तब्दील हो गए है,और स्थानीय प्रशासन सब कुछ जानते हुए भी आंख बंद कर बैठी हुई है,
उल्लेखनीय है कि धार्मिक पर्यटन नगरी महामाया धाम जहाँ पर प्रदेश के सबसे अधिक तालाब होने का गौरव प्राप्त है,जिसे तालाबों की नगरी भी कहा जाता है वहां के तालाब जनप्रतिनिधियों के निष्क्रियता के चलते अपनी अस्तित्व को गंवाने लगे है,

ज्यादातर तालाब या तो पाट दिए गए है और जो बचे खुचे है वो रसूखदारों के कब्जे में है,वर्तमान में शासकीय अभिलेखों के अनुसार 159तालाब निकाय क्षेत्र में है जिसे स्थानीय प्रशासन द्वारा मत्स्य नीति के तहत लीज में कई महिला समूहों व मछुआ समूह के माध्यम से दिया गया है,सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार तालाब आबंटन में भी जमकर घपलेबाजी कर अधिकारियों द्वारा निजी स्वार्थ की पूर्ति करते हुए मत्स्य नीति से छेड़छाड़ कर अपने चहेतों को बड़े बड़े तालाबों का आबंटन किया गया है,वही अनेक तालाब जो नाममात्र बस समूह के नाम पर है जिसे नगर के रसूखदार अपने कब्जे में रखे हुए है,
** तालाब बन गए खेत***
प्रशासन की निष्क्रियता के चले दस दस बारह एकड़ के बड़े बड़े तालाब बेजा कब्जे के चलते महज एक डेढ़ एकड़ के एरिया में सिमट कर रह गए है,सिद्धि विनायक मन्दिर के पास स्थित लहरी तालाब जो कभी साढ़े पांच एकड़ एरिया में विस्तृत था वो आज बेजा कब्जा के चलते महज एक एकड़ में फैला हुआ है,जो पूरी तरह बाहरी ब्यक्तियों के कब्जे में है,इसी तरह यहां के सबसे बड़ा बिकमा तालाब जो अठावन एकड़ में स्थित था आज सिमटकर दस पन्द्रह एकड़ के एरिया में है, सूत्रों की माने तो इन तालाबों के अलावा नगर के अधिकांश बड़े बड़े तालाब बेजा कब्जे के चलते जमीदोंज होते चले जा रहे है,और मूकदर्शक बनकर नगर के जनप्रतिनिधि व स्थानीय प्रशासन बैठे हुए है,और दूसरी तरफ जिला प्रशासन नगर के तालाबों को संवारने की बात कर वाही वाही लूटने में लगी हुई है,
*कलपेसरा तालाब बस सुरक्षित*
नगर का एकमात्र तालाब कलपेसरा बस माँ महामाया देवी की कृपा के चलते सुरक्षित है क्योंकि वह महामाया देवी मंदिर के पास स्थित है,जहाँ पर आमजन,मोहल्लेवासी अपनी निस्तारी का कार्य करते है,नही तो वह भी अपनी अस्तित्व को अन्य तालाबों की तरह गंवा दिए रहता,
राजस्व प्राप्ति का सबसे बड़ा जरिया था तालाब
एक समय था जब नगर के इन तालाबो से निकाय को करोड़ों रु का राजस्व प्राप्त होता था जिससे नगर विकास के अलावा कर्मचारियों का भी तनख्वाह बांटा जाता था,किंतु पूर्ववर्ती सरकार की बेवजह की नीति के चलते राजस्व की आवक खत्म सी हो गई ,मछुआरों की भलाई के लिए बनाई गई मत्स्य नीति अब रसूखदारों के लिए कमाई का जरिया बन गया है,और निकाय को मिलने वाला राजस्व का खजाना खाली हो गया,
” इसकी मौखिक जानकारी मिली है,राजस्व अधिकारियों की टीम बनाकर जांच कराता हु,
हरदयाल रात्रे(सीएमओ)
नगरपालिका रतनपुर,
“”तालाबो के आसपास हुए बेजा कब्जा को शीघ्र ही हटाया जाएगा,तालाबों के संरक्षण में कोई कमी नही होगी,
घनश्याम रात्रे(अध्यक्ष)
नगरपालिका रतनपुर

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