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छत्तीसगढ़ में बड़ा मुआवजा घोटाला! एक जमीन, 6 दावेदार, 48 करोड़ की लूट – EOW की 18 ठिकानों पर ताबड़तोड़ रेड,अफसरों के घर से निकले करोड़ों के दस्तावेज

रायपुर। छत्तीसगढ़ में इकोनॉमिक कॉरिडोर के नाम पर ऐसा घोटाला सामने आया है, जिसने सत्ताप्रशासन से लेकर जमीन दलालों और ठेकेदारों तक की मिलीभगत की पोल खोल दी है। भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत अधिग्रहित भूमि में फर्जीवाड़ा कर एक ही जमीन को छहछह लोगों के नाम पर दर्ज कर करोड़ों का मुआवजा वसूलने का मामला उजागर हुआ है।

48 करोड़ की चपत, और बढ़ सकता है आंकड़ा!

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EOW की शुरुआती जांच में अब तक 48 करोड़ 3 लाख 18 हजार 506 रुपए की आर्थिक क्षति का खुलासा हुआ है। लेकिन ये तो सिर्फ ट्रेलर है! क्योंकि अभी अधिग्रहित कई गांवों की रिपोर्ट आना बाकी है। जानकारों का कहना है कि फर्जीवाड़े की यह रकम 100 करोड़ के पार भी जा सकती है!

FIR में अफसर, दलाल, कारोबारीसब लपेटे में


EOW
ने FIR नंबर 30/2025 दर्ज कर आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471, 120B और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7C के तहत मामला दर्ज किया है। खास बात यह है कि इस बार EOW ने शासन से बाकायदा अनुमति लेकर रेड की कार्रवाई की और सीधे उन लोगों के दरवाजे दस्तक दी जिन पर शक की सुई लंबे समय से घूम रही थी।

18 ठिकानों पर एक साथ छापे, अफसरों के घर से निकले करोड़ों के दस्तावेज


25 अप्रैल की सुबह-सुबह रायपुर, दुर्ग, महासमुंद और बिलासपुर में EOW की टीमों ने एक साथ 18 ठिकानों पर छापा मारा। जिनके घरों और दफ्तरों में दस्तक दी गई, उनमें शामिल हैं – SDM, पटवारी, तहसीलदार, बैंककर्मी, जमीन दलाल, ठेकेदार और कारोबारी।

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नामवर चेहरे जो ईओडब्ल्यू के निशाने पर आए:

निर्भय कुमार साहू – तत्कालीन SDM, नवा रायपुर व कांकेर

हरजीत सिंह खनूजा – ठेकेदार, कचना, रायपुर

अमरजीत सिंह गिल – ठेकेदार व ICICI बैंक कर्मचारी, दुर्ग

जितेंद्र और दिनेश साहू – पटवारी, अभनपुर और माना बस्ती

हरमीत सिंह खनूजा – ठेकेदार, महासमुंद

योगेश देवांगन – जमीन दलाल, अश्वनी नगर

विजय जैन – कारोबारी, गोलबाजार व टैगोर नगर

उमा तिवारीरहवासी, महादेव घाट

दशमेशगुरुद्वारा संचालक, तेलीबांधा

लखेश्वर किरण, शशिकांत कुर्रे, लेखराम देवांगनतहसीलदार और पटवारी रैंक

फॉर्मूला था तैयार – पहले सरकारी जमीन को निजी दिखाया, फिर किया मुआवजा पास
जांच में सामने आया कि कुछ मामलों में शासन की अधिग्रहीत जमीन को दोबारा विक्रय कर मुआवजा लिया गया। कहीं असली ज़मीन मालिक को छोड़ किसी और को पैसा मिला। कई जगह खसरा नंबर में हेरफेर कर जमीनों को टुकड़ों में बांटकर अलग-अलग नामों पर भारी भरकम मुआवजा पास करवा लिया गया।

क्या-क्या मिला रेड में?

जमीन सौदों के फर्जी दस्तावेज

बैंक खाते और निवेश से जुड़ी जानकारी

इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज और मोबाइल

नकदी से जुड़ी अहम जानकारियां

क्या कहती है EOW?

EOW के मुताबिक, जब्त दस्तावेजों की स्क्रूटनी जारी है। आने वाले दिनों में और कई नाम सामने सकते हैं। शासन से जैसेजैसे अधिग्रहित जमीनों की रिपोर्ट आएगी, घोटाले की परतें खुलती जाएंगी।

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Kanha Tiwari

छत्तीसगढ़ के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिन्होंने पिछले 10 वर्षों से लोक जन-आवाज को सशक्त बनाते हुए पत्रकारिता की अगुआई की है।

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