
जांजगीर-चांपा।
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहाँ सहायक ग्रेड-2 रूपेश राठौर ने सरकारी दफ्तर को शराब का ठिकाना समझ लिया। नशे में धुत्त होकर वह ऑफिस में बदजुबानी और अभद्रता करता रहा, और यह सब कैमरे में कैद हो गया। वीडियो वायरल होते ही प्रशासन में हड़कंप मच गया और कलेक्टर ने तुरंत कार्रवाई करते हुए लिपिक को निलंबित कर दिया।
🔴 वीडियो वायरल – सरकारी सिस्टम पर सवाल!
रूपेश राठौर, जो जिला शिक्षा कार्यालय में सहायक ग्रेड-2 के पद पर पदस्थ था, शराब के नशे में धुत होकर ऑफिस में ऊलजलूल और अपशब्दों का प्रयोग करता दिखा। सोशल मीडिया पर यह वीडियो तेजी से वायरल हुआ और आम जनता से लेकर अधिकारियों तक में रोष फैल गया।
⚖️ कलेक्टर ने दिखाई सख्ती – निलंबन का हुक्म जारी
कलेक्टर जन्मेजय महोबे ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सीधे निलंबन का आदेश जारी किया। यह कृत्य सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 3(7) व 23 का स्पष्ट उल्लंघन पाया गया। इसके चलते छत्तीसगढ़ सिविल सेवा वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील नियम 1966 के तहत कार्रवाई करते हुए रूपेश राठौर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।
📍 नवागढ़ में भेजे गए – अब मुख्यालय बदल गया
निलंबन आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि अब राठौर का मुख्यालय विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय नवागढ़ नियत किया गया है। यानी अब उन्हें डीईओ ऑफिस छोड़कर नवागढ़ जाना पड़ेगा – और वह भी निलंबन की स्थिति में।
🧐 क्या ये अकेला मामला है? मौन सहमति पर भी सवाल
इस वायरल वीडियो में केवल रूपेश राठौर ही नहीं, दफ्तर के अन्य कर्मचारी भी मौन दर्शक बने दिखाई दिए। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या ये केवल एक व्यक्ति की गलती है या पूरे सिस्टम में कहीं कुछ सड़न है? प्रशासन ने फिलहाल केवल एक कर्मचारी पर कार्रवाई की है, लेकिन जानकारों की मानें तो यह आइसबर्ग का सिरा भर हो सकता है।
📢 शराबखोरी सिर्फ एक विभाग तक सीमित नहीं!
जिले के कई विभागों में लंबे समय से शराबखोरी और ऑफिस में अनुशासनहीनता की खबरें आती रही हैं। लेकिन जब तक कोई वीडियो या ठोस सबूत सामने न आए, तब तक कार्रवाई ठंडे बस्ते में पड़ी रहती है।
