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ना डॉक्टर, ना नर्स…अस्पताल भगवान भरोसे! ज़हर खाकर पहुंचे युवक को करना पड़ा संघर्ष, फिर रेफर!

खोँगसरा/ बिलासपुर । कोटा विधानसभा के आखिरी छोर पर बसा खोँगसरा गांव आज भी “स्वास्थ्य के नाम पर बीमार” है। आमगोहन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का हाल ऐसा है कि यहां मरीज तो आते हैं, लेकिन इलाज भगवान भरोसे होता है!

ना डॉक्टर, ना स्टाफ नर्स, ना लैब टेक्नीशियन पूरा अस्पताल एक RMA, एक ANM और एक वार्ड बॉय के भरोसे सांसें ले रहा है। बाकी स्टाफ का स्थानांतरण हो चुका है, और जो बचे हैं वो भी गायब सबसे खौफनाक मंजर तब देखने को मिला जब एक युवक जहर खाकर पहुंचा इलाज के लिए, लेकिन डॉक्टर के बिना उसे मजबूरन बिलासपुर रेफर करना पड़ा। कभी बारिश में भीगते मरीज पहुंचते हैं तो कभी जहर खा चुके घायल लेकिन खोँगसरा अस्पताल हमेशा एक ही जवाब देता है – डॉक्टर नहीं हैं… रेफर कर दो!”

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दो दिन की बारिश के बाद सोमवार सुबह जब ग्रामीण पहुंचे अस्पताल तो भौंचक रह गए – कोई डॉक्टर नहीं, कोई नर्स नहीं। जब बात पहुंची पूर्व कोटा जनपद अध्यक्ष संदीप शुक्ला तक, तो उन्होंने BMO को फोन कर जानकारी ली। पता चला स्वास्थ्य सहायक मिथिलेश कुमार बिना बताए नदारद हैं और नर्स योगेश्वरी रजक और गीता राठिया का भी हाल ही में ट्रांसफर हो गया।

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हर आपात स्थिति में बस एक ही स्क्रिप्ट चलती है – रेफर फिर चाहे मरीज जिंदा बचे या नहीं, अस्पताल की औपचारिकता पूरी हो जाती है। पूर्व कोटा जनपद अध्यक्ष संदीप शुक्ला ने खोँगसरा, केंदा और बेलगहना जैसे संवेदनशील इलाकों में वैकल्पिक डॉक्टर की तैनाती की मांग रखी है।

संदीप शुक्ला का साफ कहना है: अब चुप नहीं बैठेंगे!
स्वास्थ्य विभाग सो रहा है, और मरीज मर रहे हैं। अस्पताल नहीं कब्रगाह बनते जा रहे हैं। कोटा विधानसभा के ग्रामीण अस्पतालों की ये तस्वीर डराती है, झकझोरती है और सिस्टम की सड़ांध को बेनकाब करती है।

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