Bilaspur Highcourt News:– मुस्लिम युवक ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगा हिंदू युवती को अपनी पत्नी बता साथ रहने देने के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाई थी। युवती के परिजनों का आरोप है कि तौसीफ ने नाम बदल कर हिंदू बन कर शादी की है। युवती बालिग है और युवक के साथ जाने की बात कह रही है। अदालत ने दोनों पक्षों को मध्यस्थता केंद्र भेजा है,जिसके रिपोर्ट के आधार पर आगे की सुनवाई होगी।
Bilaspur बिलासपुर। बिलासपुर हाईकोर्ट में एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई हुई। यह मामला लव जेहाद से जुड़ा हुआ है। तौसीफ मेनन नामक व्यक्ति ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर दाखिल की थी। जिस पर उसने एक युवती को अपनी पत्नी बता अदालत में पेश करने की मांग की थी। मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार वर्मा की डिवीजन बेंच ने दोनों पक्षों को मध्यस्थता केंद्र भेजने के निर्देश दिए है।
प्रकरण के अनुसार, कटघोरा निवासी एक कालेज छात्रा 21 अप्रैल 2025 को घर से कालेज जाने के बाद लापता हो गई थी। स्वजनों ने तलाश के बाद कटघोरा थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई। जांच के दौरान पता चला कि युवती को तौसीफ मेनन के साथ कोलकाता में देखा गया, जहां कथित रूप से मस्जिद में उसका निकाह कराया गया। पुलिस ने दोनों को कोरबा लाकर पूछताछ की, लेकिन प्रारंभ में युवती को तौसीफ के घर भेज दिया गया। इसके बाद हिंदू संगठनों के हस्तक्षेप पर उसे पहले सखी केंद्र और फिर शक्ति सदन कोरबा में रखा गया। तौसीफ ने खुद को युवती का पति बताते हुए हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की। हाईकोर्ट ने 15 मई को याचिकाकर्ता को एक लाख रुपये की राशि न्यायालय में जमा करने का निर्देश दिया था, जो जमा की जा चुकी है। सोमवार को हुई सुनवाई में युवती व उसके माता-पिता भी अदालत में उपस्थित हुए।
परिजनों के अधिवक्ताओं ने दावा किया कि युवक ने नाम छिपाकर विवाह किया है, जो अवैधानिक है। कोर्ट ने कहा कि यद्यपि युवती बालिग है और युवक के साथ जाने की बात कह रही है, लेकिन उसके भविष्य और सुरक्षा को देखते हुए मध्यस्थता आवश्यक है ताकि स्वजनों की भी संतुष्टि सुनिश्चित हो सके। अब मध्यस्थता केंद्र की रिपोर्ट के आधार पर बुधवार को पुनः सुनवाई होगी।

