पुस्तक चर्चा एवं काव्य संध्या
विद्वान साहित्यकार संतोष चौबे की पुस्तक “कहानी का रास्ता” 10 अलग-अलग क्रम में लिखी कहानी लेखन के इतिहास से वर्तमान तक की कहानी यात्रा का दस्तावेज है .
विद्वान समीक्षक एवं शासकीय महिला महाविद्यालय मनेन्द्रगढ़ के प्राचार्य डॉ. रामकिंकर पांडे ने वनमाली सृजन केंद्र एवं संबोधन संस्थान मनेन्द्रगढ़ द्वारा आयोजित “कहानी का रास्ता” पुस्तक पर आयोजित परिचर्चा में उक्ताशय के विचार मुख्य अतिथि की आलंदी से व्यक्त किए. उन्होंने कहा कि इस पुस्तक में हिंदी की पहली कहानी “टोकरी भर मिट्टी” की चर्चा से लेकर कहानी के बदलते पक्ष, तेवर ,शिल्प ,एवं कहानी लेखन के परिवर्तित स्वरूप का रोजनामचा प्रस्तुत है. हालाकि कुछ प्रश्नों पर मेरी असहमति जरूर है कि फिल्में कहानी से आगे नहीं हो सकती, क्योंकि फिल्में किसी लेखक की कहानियों पर ही बनाई जाती है. यह पुस्तक कहानी विधा पर शोध करने वाले छात्रों के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगी ऐसा मेरा मानना है.
आईसेक्ट महाविद्यालय मनेन्द्रगढ़ के सभागार में बसंत पर्व पर आयोजित इस परिचर्चा को आगे बढ़ाते हुए वनमाली सृजन केंद्र के संयोजक बीरेंद्र श्रीवास्तव ने पुस्तक पर चर्चा करते हुए कहां कि भारतीय संस्कृति और साहित्य का इतिहास बूढी दादी और दादाजी के किस्से – कहानियों से शुरू होता है. किस्सा कहने सुनने और हुंकारी भरने से शुरू हुआ यह संसार व्यापक रूप से आगे बढ़कर शब्दों और शिल्प की मांग के साथ कहानियों का एक व्यापक संसार गढ़ देता है. “किस्सा गुल बकावली का” जैसे साप्ताहिक बाजार में मिलने वाली पुस्तकों के कहानी के प्रारंभ से वर्तमान तक की कहानी यात्रा के बदलाव के दस्तावेज ” कहानी का रास्ता” पुस्तक में शामिल है. “हल्के रंग की कमीज” जैसे चर्चित कहानी संग्रह के लेखक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर “अंतर्राष्ट्रीय वैली आप वर्डस” जैसे अवार्ड से सम्मानित श्री संतोष चौबे कुशल लेखन प्रतिभा के धनी है .
नरोत्तम शर्मा एवं शैलेश जैन जैसे सुपरिचित कलाकारों के गीत प्रस्तुति एवं प्राकृतिक रंगो से सजे बसंत पर्व का इस कार्यक्रम का कुशल संचालन गौरव अग्रवाल ने किया. उन्होंने बसंत के आगमन और सृजन की देवी मां सरस्वती को नमन करते हुए संबोधन साहित्य संस्थान के अध्यक्ष श्री अनिल जैन को आमंत्रित किया चर्चा को आगे बढ़ते हुए अनिल जैन ने कहा कि हमारी अध्यात्मिक चेतना कहानियों का विशाल भंडार समेटे हुए हैं लेकिन समय और काल के अनुसार यह कहानी बदलती रही है. इसी बदलाव के साथ वर्तमान कहानी तक की यात्रा को पुस्तक “कहानी का रास्ता” कहानी के विविध पक्षों के साथ उजागर करती है.
आईसेक्ट महाविद्यालय मनेन्द्रगढ़ के निदेशक संजीव सिंह जी ने “कहानी का रास्ता” के लेखक संतोष चौबे के लेखन सहित उनके विशाल किंतु सहज व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला उन्होंने कहा कि लाखों हाथों को कंप्यूटर का मंत्र और रोजगार देने वाले कुशल इंजीनियर एवं साहित्यकार श्री चौबे जी को लाखों हाथों को रोजगार देने का श्रेय भी जाता है. साहित्य और शिक्षा का ऐसा व्यक्तित्व समाज में बहुत कम दिखाई देता है.
देर शाम तक चलते पुस्तक चर्चा में साहित्यकार पुष्कर तिवारी, राजेश जैन, संतोष जैन, कल्याण केसरी, हसदेव धारा साहित्यिक संस्था के अध्यक्ष रितेश श्रीवास्तव,परमेश्वर सिंह, एवं नए लेखक इशिता सिंह, और उज्जवल सिंह, सहित महिला साहित्यकार सुषमा श्रीवास्तव एवं टी. गोपाल राव ने भागीदारी की. कार्यक्रम का समापन सृजन की देवी माता सरस्वती को साहित्यकारों ने पुष्पांजलि स्वरूप अपनी काव्य रचना की प्रस्तुति देकर किया, वहीं पुष्पांजलि स्वरूप गायक कलाकार नरोत्तम शर्मा तथा शैलेश जैन ने “मधुबन खुशबू देता है” जैसे सुंदर गीत की प्रस्तुति के साथ कार्यक्रम को उंचाईयों पर पहुंचा दिया. आयोजन मे साहित्यसुधि आईसेक्ट के छात्रो की उपस्थिति ने कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की.
प्रशान्त तिवारी

