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Bilaspur Highcourt News:–  चयन सूची में चौथे नंबर पर नाम  होने के बाद भी परिवहन उप निरीक्षक को नहीं दी नियुक्ति

सरकार ने बताया याचिकाकर्ता की हाईट हैं कम,याचिका खारिज

Bilaspur Highcourt News:– परिवहन उप निरीक्षक (तकनीकी) पद के लिए चयन सूची जारी की गई । जिसमें याचिकाकर्ता का नाम चौथे नंबर पर था। उसने खुद को नियुक्ति देने के आदेश देने की मांग अदालत से की थी।  राज्य सरकार ने अपने जवाब में बताया कि याचिकाकर्ता की ऊंचाई तय मानक से 0.7 सेमी कम है। मामले में शासन का पक्ष सुनने के बाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की याचिका को खारिज कर दी है।

Bilaspur बिलासपुर। परिवहन उप निरीक्षक (तकनीकी) पद के लिए चयन सूची में नाम आने के बाद भी एक अभ्यर्थी को नियुक्ति नहीं मिली। उसने वर्ष 2017 में हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। उसने नियुक्ति आदेश रद्द करने और खुद की शारीरिक जांच कराने की मांग की थी। राज्य सरकार ने बताया कि याचिकाकर्ता की ऊंचाई 0.7 सेमी कम थी। इस आधार पर याचिका खारिज कर दी गई।

पीएससी ने 27 जुलाई 2016 को परिवहन उपनिरीक्षक (तकनीकी) के पद के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। जांजगीर- चांपा में रहने वाले ऋषभ स्वर्णकार ने इसके लिए ऑनलाइन आवेदन किया। लिखित और मौखिक परीक्षा दी। इसके बाद 25 अप्रैल 2017 को जारी चयन सूची में उसका नाम 4 थे नंबर पर था। लेकिन नियुक्ति के लिए उसके नाम पर विचार नहीं किया गया। उसे कोई कारण भी नहीं बताया गया। इस पर उसने वर्ष 2017 में ही हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी। याचिका में बताया कि उसने जांजगीर- चांपा के जिला अस्पताल में हुए शारीरिक योग्यता परीक्षण में भी भाग लिया था। उसने हाईकोर्ट से विवादित नियुक्ति आदेश को निरस्त करने, अपने हित में परमादेश रिट जारी करने समेत अन्य मांग की थी।

165 सेमी थी होनी थी, 164.3 सेमी थी ऊंचाई:–
राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि विज्ञापन की शर्तों के अनुसार अभ्यर्थी की न्यूनतम ऊंचाई 165 सेमी होनी चाहिए थी लेकिन याचिकाकर्ता की ऊंचाई 164.3 सेमी पाई गई। इसी कारण उसका चयन नहीं किया गया। उसने शारीरिक परीक्षण में भाग लिया था और दस्तावेजों पर हस्ताक्षर भी किए थे।

विज्ञापन की शर्तें पूरी करना जरूरी:–
हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। पाया कि याचिकाकर्ता की ऊंचाई तय मानक से कम थी। वह विज्ञापन की शर्तें पूरी नहीं कर सका, इस आधार पर उसका अंतिम रूप से चयन नहीं किया गया। कोर्ट ने कहा कि याचिका पर विचार का कोई आधार नहीं है।

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Kanha Tiwari

छत्तीसगढ़ के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिन्होंने पिछले 10 वर्षों से लोक जन-आवाज को सशक्त बनाते हुए पत्रकारिता की अगुआई की है।

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