
“नेता प्रतिपक्ष महंत का तंज – “आप क्यों लड़ाई-झगड़ा करवा रहे हैं मंत्री जी?”
विधायक का वार – “सिविल सर्जन की तानाशाही से पूरा स्टाफ परेशान!”
रायपुर | छत्तीसगढ़ विधानसभा में उस वक्त जबरदस्त हंगामा हो गया जब जांजगीर–चांपा विधायक ब्यास कश्यप ने स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल को सीधे–सीधे घेर लिया। मुद्दा था जिला अस्पताल जांजगीर के प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. दीपक जायसवाल की मनमानी! विधायक ने सदन में आग उगलते हुए मंत्री से सवाल दागा – “अगर पूरा अस्पताल स्टाफ इस्तीफा दे देता है तो क्या आप जिम्मेदारी लेंगे?”

विधायक का वार – “सिविल सर्जन की तानाशाही से पूरा स्टाफ परेशान!”
ब्यास कश्यप ने सदन में सिविल सर्जन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि अस्पताल के डॉक्टर, नर्सें और कर्मचारी उनके तानाशाही रवैये से तंग आ चुके हैं। दुर्व्यवहार, धमकियां और भ्रष्टाचार की शिकायतें रोज़ बढ़ रही हैं, लेकिन मंत्री महोदय उन्हें बचाने में लगे हैं!
“कलेक्टर मेरा दोस्त, मंत्री मेरा रिश्तेदार!” – सिविल सर्जन की दबंगई!
विधायक ने खुलासा किया कि सिविल सर्जन खुलेआम कर्मचारियों से कह रहे हैं – “मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता, कलेक्टर मेरा मित्र है और मंत्री मेरा रिश्तेदार है!” यह सुनते ही सदन में गूंज उठी “शर्म करो, शर्म करो!” की आवाजें।
नेता प्रतिपक्ष महंत का तंज – “आप क्यों लड़ाई-झगड़ा करवा रहे हैं मंत्री जी?”
विधानसभा में इस मुद्दे पर माहौल इतना गरमा गया कि नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत भी चुटकी लेने से पीछे नहीं हटे। उन्होंने मंत्री पर तंज कसते हुए कहा – “आप जिस तरह से सिविल सर्जन का बचाव कर रहे हैं, उससे तो लगता है कि वह आपका दूर का नहीं, बल्कि बहुत ही नजदीकी रिश्तेदार है!”
स्वास्थ्य मंत्री ने दी सफाई – “जांच चल रही है!”
हंगामे के बीच स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने जवाब देने की कोशिश की, लेकिन विपक्ष ने उन्हें बोलने ही नहीं दिया। मंत्री जी ने सफाई देते हुए कहा – “हमने जांच कमेटी गठित कर दी है, 7 दिन में रिपोर्ट आएगी, फिर कार्रवाई होगी!” लेकिन विधायक ब्यास कश्यप का गुस्सा कम नहीं हुआ।
“7 दिन नहीं, अभी एक्शन चाहिए!” – विधायक का अल्टीमेटम
ब्यास कश्यप ने दो टूक कह दिया – “अगर सरकार मामले को लटकाने की कोशिश करेगी तो इसका अंजाम अच्छा नहीं होगा। अस्पताल में कोई अनहोनी होती है, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार और मंत्री महोदय की होगी!”
अब सवाल उठता है –क्या सरकार वाकई सिविल सर्जन पर कार्रवाई करेगी, या फिर पूरे अस्पताल को उनकी मनमानी के हवाले छोड़ दिया जाएगा? क्या यह सिर्फ सदन की बहस बनकर रह जाएगा या फिर सरकार कोई कड़ा कदम उठाएगी?


