
बिलासपुर। तारबाहर थाना इन दिनों लापरवाही और अव्यवस्था का केंद्र बना हुआ है। अपराध लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन थाना प्रभारी के निष्क्रियता के कारण अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। अब तो हद यह हो गई है कि थाने की कमान एक ऐसे आरक्षक के हाथ में बताई जा रही है, जिसकी आधिकारिक पोस्टिंग किसी और जिले में है। सवाल यह है कि आखिर यह आरक्षक यहां किसके संरक्षण में काम कर रहा है?

बिलासपुर पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह अपने कड़े फैसलों और निष्पक्ष कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं। जिले में कानून-व्यवस्था को मजबूत करने के लिए उनकी सक्रियता कई बार देखने को मिली है। अब तारबाहर थाना में बढ़ती लापरवाही और “क्या रसूखदार आरक्षक”के कारनामों कब जांच होगी ये देखना होगा,

थाना क्षेत्र में असामाजिक तत्वों की गतिविधियां बढ़ती जा रही हैं। हाल ही में युवक सनी साहू की बेरहमी से पिटाई की गई, लेकिन इस घटना से पुलिस बेखबर रही। यह स्थिति न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न लगाती है।
क्या “रसूखदार आरक्षक” चला रहा थाना?
सूत्रों के मुताबिक, तारबाहर थाना में एक ऐसा पुलिसकर्मी सक्रिय भूमिका में है, जिसकी तैनाती किसी अन्य जिले में होनी चाहिए। वह सिर्फ मौजूद ही नहीं है, बल्कि थाना संचालन तक में दखल दे रहा है। यह गंभीर प्रशासनिक चूक है। अब सवाल यह उठता है कि उसे यह छूट किसने दी? क्या कोई राजनीतिक संरक्षण उसके पीछे है?
बस स्टैंड चौक बना अपराधियों का गढ़
तारबाहर थाना क्षेत्र का बस स्टैंड चौक असामाजिक तत्वों के लिए सुरक्षित अड्डा बन चुका है। कुछ समय पहले इसी इलाके में एक युवक की शराब की बोतल से सिर फोड़कर हत्या कर दी गई थी। पुलिस को आरोपी तक पहुंचने के लिए लंबी मशक्कत करनी पड़ी थी, लेकिन अपराधों पर नियंत्रण अब तक नहीं हुआ है।
रात में खुलती हैं दुकानें,
मॉल और अन्य इलाकों में कई दुकानें देर रात तक खुली रहती हैं। इन दुकानों के आसपास असामाजिक तत्वों का जमावड़ा रहता है, जिससे झगड़े और विवाद की घटनाएं बढ़ गई हैं। पुलिस इन गतिविधियों को रोकने के बजाय अनदेखा कर रही है।
अगर इस मामले में शीघ्र और सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो यह थाना अपराधियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बन सकता है।


