
रायपुर। जांजगीर-चांपा विधानसभा क्षेत्र में अवैध कॉलोनियों और कब्जों को लेकर कांग्रेस विधायक व्यास कश्यप ने विधानसभा में उप मुख्यमंत्री से जवाब मांगा। उन्होंने नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध प्लाटिंग और कब्जों से जुड़े मामलों पर कार्रवाई की स्थिति स्पष्ट करने को कहा। उनके सवालों के जवाब में उप मुख्यमंत्री एवं लोक निर्माण मंत्री अरुण साव ने विधानसभा में जानकारी दिया ।
विधायक व्यास कश्यप ने उठाए ये प्रमुख सवाल:
1. 2021-22 से 30 जनवरी 2025 तक जांजगीर-चांपा विधानसभा क्षेत्र में कितनी अवैध कॉलोनियां और कब्जे के प्रकरण सामने आए? कितनों पर कार्रवाई हुई?
2. नगरपालिका परिषद जांजगीर-नैला एवं चांपा में कितने कॉलोनाइजर अधिकृत रूप से कार्यरत हैं?
3. क्या अवैध प्लाटिंग या कॉलोनी निर्माण की शिकायतों पर कोई कार्रवाई की गई?
अरुण साव जवाब:
उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने बताया कि 2021-22 से 30 जनवरी 2025 तक नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध कॉलोनियों और कब्जों से जुड़े कोई भी प्रकरण दर्ज नहीं हुए। हालांकि, नगरपालिका क्षेत्र जांजगीर-नैला में 6 अवैध प्लाटिंगकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, जबकि चांपा क्षेत्र में ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली।
एफआईआर दर्ज किए गए 6 लोगों के नाम:
1. पुष्पेन्द्र कुमार/गीता राम
2. राकेश कुमार/गौरीशंकर
3. नकूल राकेश/रामनाथ राकेश
4. अनवर खान/मो. निजामुद्दीन खान
5. अर्जुन वगैरह/घनश्याम
6. संतोष हरिशंकर यादव
अधिकृत कॉलोनाइजरों की स्थिति:
सरकार के अनुसार, नगर ग्राम निवेश एवं रेरा से अनुमति प्राप्त 23 कॉलोनाइजर जांजगीर-नैला और चांपा क्षेत्र में कार्यरत हैं। इनमें से कई परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं, जिनकी विस्तृत जानकारी संलग्न प्रपत्र में दी गई है।
विधायक व्यास कश्यप ने जताई चिंता
विधायक व्यास कश्यप ने अवैध कॉलोनियों और कब्जों के मामलों को लेकर प्रशासन की सतर्कता पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि यदि अवैध प्लाटिंग और कब्जों के मामले दर्ज नहीं हुए हैं, तो फिर नगरपालिका क्षेत्र जांजगीर-नैला में 6 लोगों के खिलाफ एफआईआर कैसे हुई? उन्होंने सरकार से मांग की कि इस पूरे मुद्दे की गहराई से जांच हो और अवैध कॉलोनी निर्माण पर सख्त कार्रवाई की जाए।
क्या अवैध कॉलोनियों पर हो रही है सख्ती?
विधानसभा में मिले जवाब से यह साफ नहीं हो पा रहा कि क्या वास्तव में अवैध कॉलोनियों की समस्या नहीं है, या फिर प्रकरण दर्ज ही नहीं किए जा रहे हैं? यह सवाल अब स्थानीय जनता और प्रशासन के लिए बड़ा मुद्दा बन सकता है। क्या आने वाले समय में इस पर कोई ठोस कार्रवाई होगी, यह देखना दिलचस्प होगा।


